नेहारिका ने आपनी गुल्लक के 48530 रुपये से झारखंड के तीन प्रवासियों को फ्लाइट के माध्यम से उनके घर तक पहुंचाया। निहारिका की मदद से खुश होकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा, इस छोटी सी उम्र में ऐसी संवेदनशीलता के लिए निहारिका बिटिया का आभार। आपके उज्जवल भविष्य के लिए मेरी हार्दिक शुभकामानाएं।
निहारिका द्विवेदी अभी महज 12 साल की हैं और कक्षा 7 में पढ़ती हैं। लेकिन इस बच्ची ने कोरोना के संकटकाल में जो किया वह सराहनीय है। संकट की इस घड़ी में प्रवासियों का जो हाल है वो किसी से छुपा नहीं है। निहारिका ने जब खबरों में यह सब देखा तो उनसे रहा नहीं गया। उसने अपनी गुल्लक उठाई और उसमें जो कुछ भी था उससे प्रवासियों की मदद करने की ठान ली। नेहारिका ने आपनी गुल्लक के 48530 रुपये से झारखंड के तीन प्रवासियों को फ्लाइट के माध्यम से उनके घर तक पहुंचाया।
निहारिका की मदद से खुश होकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा, इस छोटी सी उम्र में ऐसी संवेदनशीलता के लिए निहारिका बिटिया का आभार। आपके उज्जवल भविष्य के लिए मेरी हार्दिक शुभकामानाएं।
नेहारिका पिछले दो साल से अपने गुल्लक में पैसे जोड़ रही थी। निहारिका ने न्यूज चैनलों पर जब प्रवासियों का हाल देखा तो उनसे रहा नहीं गया और अपनी मम्मी से उनकी मदद करने की मंजूरी मांगी। इसके बाद अपनी तीन गुल्लक तोड़ी जिसमें से 48 हाजर 530 रुपये निकले। इस पैसे को उन्होंने प्रवासियों की मदद पर खर्च कर दिया। निहारिका ने जिन तीन लोगों की मदद की है उनमें से एक कैंसर पीडित है। निहारिका के मुताबिक, इन मजदूरों ने समाज निर्माण में अपना अहम योगदान दिया है और हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम इस संकट में उनकी मदद करें।
मां ने कहा बेटी पर गर्व है
उनकी मम्मी सुरभि द्विवेदी कहती हैं, 'हमने नोटिस किया कि जब से उसने खबर देखी तब से दुखी थी। एक दिन उसने एक हवाई जहाज देखा और हमसे पूछा कि क्या हम जरूरतमंद लोगों को इससे उनके घर भेज सकते हैं? वह तुरंत अपने गुल्लक निकाल लाई और कहा कि मैं मजदूरों की मदद करना चाहती हूं। अपनी 12 साल की बेटी से यह सुनकर हमें गर्व और खुशी हुई।'
निहारिका बताती हैं, 'हमने अपने कुछ मित्रों से ऐसे लोगों के बारे में पता लगाया जिन्हें मदद की सख्त जरूरत थी और अपने घर वापस जाना चाहते थे। मुझे तीन लोगों के बारे में पता चला। जिसमें से एक कैंसर पीड़ित था। उन सभी की फ्लाइट की टिकट कराई और उन्हें झारखंड उनके घर तक पहुंचाया।'
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.