अमीर हो या गरीब अपनी शादी को खास बनाने ही चाहत हर किसी में होती है। खासकर दुल्हनों में इस मौके पर सबसे खूबसूरत दिखने की चाह किसी से छिपी नहीं है। अमीर घर की बेटियां मशहूर डिजाइनरों से अपनी ड्रेस डिजाइन कराती हैं, लेकिन गरीब परिवार की बेटियों के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं होता। ऐसी ही गरीब बेटियों की शादी को खास बनाने का काम पिछले आठ साल से कर रही हैं तिरूवनंतपुरम की ए के सबिता। आइए जानते हैं 41 वर्षीय ए के सबिता के बारे में ...
नई दिल्ली। अमीर हो या गरीब अपनी शादी को खास बनाने ही चाहत हर किसी में होती है। खासकर दुल्हनों में इस मौके पर सबसे खूबसूरत दिखने की चाह किसी से छिपी नहीं है। वे इसके लिए महीनों से तैयारी करती हैं। अमीर घर की बेटियां मशहूर डिजाइनरों से अपनी ड्रेस डिजाइन कराती हैं, लेकिन गरीब परिवार की बेटियों के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं होता। ऐसी ही गरीब बेटियों की शादी को खास बनाने का काम पिछले आठ साल से कर रही हैं तिरूवनंतपुरम की ए के सबिता। वह जरुरतमंद बेटियों के लिए किसी परी कथा के जादूगर से कम नहीं हैं। ए के सबिता गरीब बेटियों की शादी के लिए न केवल मशहूर डिजाइनरों के वेडिंग ड्रेस उपलब्ध कराती हैं, बल्कि मुफ्त में ही उनका मेकअप भी करती हैं। ए के सबिता यह काम पिछले 8 साल से कर रही हैं।
गरीब युवतियों को देख मदद करने का लिया फैसला
केरल के कुन्नूर में बुटीक चलाने वाली ए के सबिता पहले किराए पर दुल्हनों को वेडिंग ड्रेस देती थीं। कई सालों तक यह सब करने के दौरान उनके पास कई ऐसी युवतियां आईं जिनके पास वेडिंग ड्रेस खरीदने के पैसे नहीं थे। इन युवतियों की माली हालत किसी मशहूर डिजाइनर की ड्रेस किराए पर लेने की भी नहीं थी। यह सब देखने के बाद सबिता ने आस-पास की कई गरीब युवतियों की शादी में उन्हें मुफ्त में वेडिंग ड्रेस दिए और उनका मेकअप भी किया।
एक फोन ने दिया जिंदगी भर का मकसद
कुछ साल पहले सबिता के पास एक युवती का फोन आया। उसने कहा कि कुछ दिन बाद उसकी शादी होने वाली है। युवती ने सबिता को बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह शादी के लिए कपड़े खरीद सके। उसे किसी से उनके बुटीक के बारे में जानकारी मिली है। क्या वह उसकी मदद करेंगी ? युवती की बात ने सबिता को अंदर तक झकझोर कर रख दिया। उन्होंने तुरंत मदद के लिए हां कर दी और उसे ब्राइडल ड्रेस के साथ-साथ मेकअप का सामान भी दिया। सबिता ने इसके एवज में उससे कोई रकम नहीं ली। सबिता का मानना है कि अगर वह जरुरतमंद लड़कियों की मदद कर उनकी शादी को खास बना दे तो यह किसी पूजा-प्रार्थना से कम नहीं है। अपनी इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए सबिता बीते आठ साल से लगातार जरुरतमंद दुल्हनों को मुफ्त में ब्राइडल ड्रेस देती आ रही हैं।
विदेशों से भी महिलाएं भेज रहीं ब्राइडल ड्रेस
सबिता की इस नेक पहल के बारे में जब सोशल मीडिया के जरिए लोगों को पता चला तो कई हाथ मदद को आगे आए। कई महिलाओं ने ए के सबिता से संपर्क कर उन्हें अपनी शादी की ड्रेस डोनेट की। इन महिलाओं ने सबिता के पहल की सराहना करते हुए कहा कि ब्राइडल ड्रेस सिर्फ शादी वाले दिन ही पहनी जाती है। इसके बाद दोबारा इनका उपयोग नहीं होता। ये आलमारी के किसी कोने में रखी ही रहती है। इस्तेमाल न होने के कारण कुछ सालों में ये खराब होने लगती हैं। ऐसे में अच्छा तो ये है कि ये किसी जरुरतमंद के काम आ जाएं। सबिता के मुताबिक उन्हें मुंबई, एर्नाकुलम, कोची, दुबई समेत यूरोप के कई देशों से महिलाओं ने अपनी वेडिंग ड्रेस भेजी है।
एक महिला ने डोनेट की एक लाख की ड्रेस
सबिता बताती हैं कि एक महिला ने उनके पास अपनी 1 लाख रुपए की वेडिंग ड्रेस भेजी है। ऐसी ही कई और ब्राइडल ड्रेस उनके पास आई हैं। सबिता ने इन सभी ब्राइडल ड्रेस को संभालकर रखने और जरूरतमंद ब्राइड्स तक पहुंचाने के लिए कुन्नूर में आउटलेट भी खोला है। सबिता के मुताबिक कई महिलाएं जरुरतमंद दुल्हनों की मदद के लिए फुटवियर्स, ज्वैलरी, मेकअप सेट्स भी भेज रही हैं। बुटीक में सब्यसाची और रितु कुमार के डिजाइन किए ड्रेस भी मौजूद सबिता के बुटीक में दुल्हनों के लिए सब्यसाची और रितु कुमार द्वारा डिजाइन किए गए कपड़े भी हैं। सबिता ने ज्यादा से ज्यादा युवतियों की मदद के लिए अपने आउटलेट्स तिरूवनंतपुरम, कोल्लम, एर्नाकुलम, कासरगोद, कोजिकोड़ में भी खोले हैं। कुछ दिनों पहले ही सबिता ने 300 दुल्हनों को ब्राउइल ड्रेस दी थी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.