अनन्या कहती हैं कि स्कूलों में सर्वे के दौरान जब मुझे पता चला कि लैंगिक पक्षपात समाज ही नहीं किताबों में भी मौजूद है, तो मैंने किताबों में लैंगिक प्रतिनिधित्व का पता लगाने के लिए मशीन बनाई।
कक्षा 11 की छात्रा अनन्या गुप्ता को शुरू से ही मशीनों से बेहद लगाव रहा है। आज वह इन मशीनों के दम पर सामाजिक भलाई के लिए काम कर रही हैं। वह इंटरनेशनल स्कूल, बैंगलोर में गर्लअप चैप्टर (लैंगिक समानता और महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक वैश्विक पहल) की सह-संस्थापक हैं और वह युवा लड़कियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व गणित में बढ़ावा देने के लिए निम्न-आय वर्ग के कई स्कूलों का दौरा करती रहती हैं। इस दौरान मिलने वाली छात्राओं के साथ निरंतर बातचीत के दौरान अनन्या ने पाया कि लड़कियों के मानस पर लैंगिक पूर्वाग्रह हावी है। इस पूर्वाग्रह को समझने के लिए उन्होंने एक सर्वे किया और यह जानने की कोशिश की कि लड़कियां इसको लेकर क्या महसूस करती हैं। नतीजों से यह पता चला कि लैंगिक भेदभाव और पूर्वाग्रह समाज में मौजूद हैं और पाठ्यपुस्तकों में भी लैंगिक पक्षपात है। इसने साबित किया कि हमारी शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से सुधार की जरूरत है। वह कहती हैं कि इस खोज ने मुझे एक मशीन संचालित उत्पाद बनाने के लिए प्रेरित किया, जो पाठ्य-पुस्तकों में लैंगिक प्रतिनिधित्व का स्वतः पता लगाता है। बेशक इस टूलकिट का आइडिया मेरा है, लेकिन इसमें मुझे उद्योग जगत और गुरुओं का भी सहयोग मिला है।
कैसे पता लगेगा
आपको बस इतना करना है कि अनन्या के द्वारा तैयार ऑनलाइन किट 'ग्रिट पैरिटी' का उपयोग करके कोई भी पुस्तक अपने कंप्यूटर पर अपलोड करें, यह किट बता देगी कि किताब लैंगिक रूप से तटस्थ है या नहीं। इस प्रणाली से उत्पन्न आंकड़े इतने निर्विवाद और असहज करने वाले हैं कि हम विश्वसनीय रूप से कह सकते हैं कि हमें बदलाव की आवश्यकता है।
मशीन की कार्यविधि
जब आप पीडीएफ प्रारूप में किताब अपलोड करते हैं, तो टूलकिट तीन तरीकों से काम करता है। यह पुरुष और महिला प्रतिनिधित्व के साथ कहानियों की संख्या की तुलना करता है, उन पेशों की गणना करता है, जिसमें पुरुष या स्त्री काम करते हैं और किताब में पुरुषों और महिलाओं की छवियों की तुलना करता है।
आगे की योजना
वह कहती हैं, मेरी योजना आगे इसी आधार पर कर्नाटक सरकार और शिक्षा मंत्रालय के साथ काम करने की है, ताकि पुरुषों और महिलाओं के समान प्रतिनिधित्व को दर्शाने के लिए पाठ्यपुस्तकों में सुधार लाया जा सके।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.