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प्रदूषण रहित दुनिया की मांग करती मणिपुर की आठ वर्षीय लिसीप्रिया कंगुजम

Published - Thu 14, Nov 2019

लिसीप्रिया ने भविष्य के लिए एक 'सर्वाइवल किट' भी तैयार किया है। आईआईटी जम्मू के छात्रों की मदद से इस किट को विकसित किया गया है। किट में एक ग्लास बॉक्स में एक पौधा होता है, जो स्वच्छ हवा प्रदान करने के लिए मास्क से जोड़ा गया है।

Licypriya

पर्यावरण एक्टिविस्ट के रूप में पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त कर चुकी ग्रेटा थनवर्ग को तो सभी जानते हैं। लेकिन मणिपुर की आठ वर्षीय लिसीप्रिया कंगुजम को शायद आप नहीं जानते होंगे। उन्होंने भी अपनी पीढ़ी के लिए स्वच्छ दुनिया की मांग को लेकर मुहिम शुरू की हुई है। दूसरे दर्जे में पढ़ रही 8 साल की लिसीप्रिया जून में संसद भवन के बाहर खड़ी हो गई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्लाइमेट चेंज पर सख्त कानून बनाने की मांग की। उनका मानना है कि विश्व भर के नेताओं को उनके द्वारा कही गई बातों पर कार्य करने की जरुरत है। 
लिसीप्रिया काफी अंतरराष्ट्रीय मंचो पर वैश्विक नेताओं के सामने पर्यावरण में बदलाव और प्राकृतिक आपदाओं को कम करने की मांग कर चुकी हैं। कंगुजम ने पर्यावरण को बचाने की यह मुहिम सात साल की उम्र से शुरू की थी। वे यूएन मुख्यालय में भारत प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय है।
जागरूकता अभियान, रैलियों और प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों की मदद करने के अलावा लिसीप्रिया ने भविष्य के लिए एक 'सर्वाइवल किट' भी तैयार किया है। आईआईटी जम्मू के छात्रों की मदद से इस किट को विकसित किया गया है। किट में एक ग्लास बॉक्स में एक पौधा होता है, जो स्वच्छ हवा प्रदान करने के लिए मास्क से जोड़ा गया है।
लिसीप्रिया ने कहती हैं कि वह आठ साल की उम्र वे 18 देशों का भ्रमण चुकी हैं, जागरूकता अभियान, सम्मेलनों और रैलियों का आयोजन करने के चलते उनकी स्कूली शिक्षा छूट गई है। उन्होंने बताया कि छुट्टियों में सब कार्यक्रमों का आयोजन करने के बाद भी पढ़ाई के लिए समय निकालना कठिन हो जाता था। 
लिसीप्रिया को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम चिल्ड्रन अवार्ड 2019, भारत शांति पुरस्कार 2019, और विश्व बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। साल 2019 में उन्होंने ग्रेटा थनबर्ग के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा युवा पर्यावरणविदों के लिए आयोजित बैठक में भी हिस्सा लिया था। 
लिसीप्रिया के पिता केके सिंह ने बताया कि उसकी लड़ाई हमारे लिए भी कठिन है। संसद के सामने प्रदर्शन करने के लिए फरवरी में लिसीप्रिया की पढ़ाई बीच में ही छुट गई। हमारे लिए भी हर हफ्ते दिल्ली जाना मुश्किल था, पर लिसीप्रिया ने वैश्विक नेताओं से अपने भविष्य और ग्रह को बचाने के लिए तत्काल जलवायु पर कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लिसीप्रिया को सही मार्गदर्शन देना हमारे लिए चुनौती है। हम उसे केवल छुट्टी वाले दिन ही अभियान से जुड़े काम करने की सलाह देते है। वह एक आत्म प्रेरित लड़की है।
लिसीप्रिया के पिता ने बाताया कि स्कूल छुट जाने के बाद से हम घर पर उसकी शिक्षा पर ध्यान दें रहे है। हालही में  एक प्रतिष्ठित स्कूल से लिसीप्रिया की मुफ्त शिक्षा के लिए प्रस्ताव आया है। कंगजुम देश के सभी बच्चों से पर्यावरण में हो रहे बदलावों को लेकर काम करने का आवाहन कर रही हैं। लिसीप्रिया ने अपने माता-पिता को भी साइकिल का इस्तेमाल करने की सलाह दी है।