जलवायु परिवर्तन को लेकर ग्रेटा थनबर्ग ने लोगों को पर्चियां बांटीं। पर्चियों में लिखा होता था, 'मैं ऐसा इसलिए कर रही हूं क्योंकि आप वयस्क लोग मेरे भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं'।
संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण से दुनिया भर के नेताओं को झकझोर देने वाली 16 साल की ग्रेटा थनबर्ग को पर्यावरण से इतना लगाव है कि उसने खुद विमान से यात्रा करना छोड़ दिया। उसका मानना है कि विमान से निकलने वाला कार्बन पर्यावरण के लिए घातक है। उसने पर्यावरण के खिलाफ मुहिम की शुरुआत अपने घर से ही की है। सबसे पहले उसने खुद नानवेज छोड़ा फिर अपने माता-पिता को शाकाहारी बना दिया। अब उसका परिवार जानवारों की देह से बनी चीजों का इस्तेमाल नहीं करता।
स्वीडन की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग की चर्चा दुनिया भर में हो रही है। पर्यावरण को लेकर ग्रेटा ने संयुक्त राष्ट्र में जिस तरह से दुनिया भर के नेताओं पर सवालों की बौछार की आज कोई भी नेता उनके सवालों के जवाब देने की स्थिति में नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में उनके दिए उस भाषण को दुनिया भर के नेताओं को झकझोर कर रख दिया। उस भाषण को लाखों लोगों ने सुना और सोशल मीडिया पर शेयर भी किया। आज पर्यावरण को लेकर उसकी आवाज पूरी दुनिया के लोगों को प्रभावित कर रही है। ग्रेटा थनबर्ग ने पूरी दुनिया के लोगों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए कितना संघर्ष किया, ये एक अलग कहानी है।
कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग
3 जनवरी, 2003 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में जन्मीं ग्रेटा थनबर्ग अभी हाई स्कूल की छात्रा हैं। ग्रेटा की मां मलेना अर्नमैन (Malena Ernman) स्वीडन की जानी मानी ओपेरा सिंगर हैं और पिता स्वांटे थनबर्ग (Svante Thunberg) प्रसिद्ध स्वीडिश अभिनेता हैं। साल 2011, जब वह महज आठ वर्ष की थी तब उसने पहली बार पर्यावरण के बारे में सुना और यह बात उनके दिमाग में घर कर गई। उसने जानना चाहा कि आखिर इसके सुधार के लिए कितने काम हो रहे हैं। जब उसने इसकी जानकारी इकत्रित करनी शुरू कर दी। उसने पाया कि पर्यावरण के सुधार के लिए जो काम हो रहा है वह तो न के बराबर है।
ग्रेटा ने सयुक्त राष्ट्र में क्या कहा
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक दिवसीय बैठक आयोजित की। जिसमें दुनिया भर के करीब 60 नेताओं ने हिस्सा लिया। यहां पर ग्रेटा थनबर्ग अपना भाषण देते हुए भावुक हो गई। उन्होंने कहा, 'यह पूरी तरह से गलत है। मुझे यहां नहीं होना चाहिए था। मुझे महासागर पार स्कूल में होना चाहिए था। अपकी हिम्मद कैसे हुई आपने अपनी खोखली बातों से मेरे बचपन के सपने छीन लिए। मैं फिर भी भाग्यशाली हूं। लोग परेशान हैं मर रहे हैं, पूरे इकोसिस्टम खत्म हो रहे हैं। हम एक महाविलुप्ति की शुरुआत पर हैं। ऐसे में आप सिर्फ आर्थिक विकास के सपनों की बात कर रहे हैं। आपकी हिम्मत कैसे हुई। उसने कहा, 'मैं कितनी दुखी और गुस्से में हूं...। क्या आपने सचमुच में हालात को समझा है और मुझे इस पर यकीन नहीं होता।' उसने आगे कहा, ‘आप लोग हमें निराश कर रहे हैं। लेकिन युवाओं ने आपके विश्वासघात को समझना शुरू कर दिया है। भविष्य की पीढ़ियों की नजरें आप पर हैं और यदि आप हमें निराश करेंगे तो मैं कहूंगी कि हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे।’
स्कूल छोड़कर शुरू की जंग
स्वीडन में साल 2018 में इतनी भयंकर गर्मी पड़ी कि उसने 262 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। गर्मी से लोग बेहाल हो गए। इस दौरान गर्मी के कारण स्वीडन के जंगलों में आग लग गई और इससे पर्यावरण में प्रदूषण फैल गया। 9 सितंबर, 2018 को स्वीडन में आम चुनाव भी थे। ग्रेटा उस समय नौवीं कक्षा के पढ़ रही थीं। इस दौरान उसने आम चुनाव के समाप्त होने तक स्कूल नहीं जाने का फैसला किया। 20 अगस्त, 2018 को ग्रेटा ने जलवायु के खिलाफ जंग शुरू कर दी। जलवायु परिवर्तन को लेकर उसने लोगों को पर्चियां भी बांटीं। पर्चियों में लिखा होता था, 'मैं ऐसा इसलिए कर रही हूं क्योंकि आप वयस्क लोग मेरे भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं'। उसने सरकार के खिलाफ स्वीडन की संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। इस दौरान ग्रेटा ने रोजाना तीन हफ्ते तक स्वीडन की संसद के बाहर प्रधर्शन किया।
दुनिया भर में फैल गया आंदोलन
ग्रेटा ने इस आंदोलन को दुनिया भर में फैलाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन्होंने आंदोलन की तस्वीरें पोस्ट कीं तो लोगों से उन्हें समर्थन मिलने लगा। देखते ही देखते उनकी ये मुहिम पूरी दुनिया में फैल गई। ग्रेटा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की हैं। इसके बाद दुनिया भर के स्कूली छात्रों ने ग्रेटा के इस आंदोलन से प्रभावित होकर इसे 'ग्रेटा थनबर्ग इफेक्ट' नाम दिया। इसी साल फरवरी में 224 शिक्षाविदों ने उनके समर्थन में एक ओपन लेटर पर हस्ताक्षर भी किए थे। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरिस ने भी उनके स्कूली आंदोलन की सराहना की थी। इसके बाद ग्रेटा को पूरी दुनिया जानने लगी।
ट्रंप को दो टूक जवाब
ग्रेटा पिछले महीने अमेरिका गई थीं। इस दौरान जब उनसे एक रिर्पोटर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के बारे में पूछा तो इस पर ग्रेटा ने कहा 'जब ट्रंप मेरी बातों को बिल्कुल भी सुनने के पक्ष में नहीं हैं तो मैं उनसे बात करके अपना समय बर्बाद क्यों करूं?
ग्रेटा को 'वैकल्पिक नोबल पुरस्कार'
ग्रेटा थनबर्ग को ‘राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। वह जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में दुनिया के सियासी लोगों की अकर्मण्यता के विरुद्ध युवा आंदोलन की आवाज बन चुकी हैं। इस 16 वर्षीय किशोरी के लिए सम्मान देते हुए स्वीडिश मानवाधिकार पुरस्कार की जूरी ने बताया कि इस अवॉर्ड को ‘वैकल्पिक नोबल पुरस्कार’ भी कहा जाता है।
Story by - Rohit pal
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.