तमिलनाडु कैडर की अधिकारी अर्चना रामासुंदरम अब सरहद की जिम्मेदारी संभाला रही हैं। बेबाक और तल्ख अधिकारी के रूप में पहचानी जाने वाली अर्चना रामासुंदरम महिला शक्ति की बेहतरीन मिसाल हैं।
उत्तर प्रदेश का बलिया जिला। यहां अर्चना रामासुंदरम के पिता कामता प्रसाद मिश्र का जन्म हुआ था। शिक्षा-दीक्षा पूरी करने के बाद वह राजस्थान में जज थे। अर्चना का जन्म और शिक्षा दीक्षा यहीं हुई। राजस्थान विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए। करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक बतौर प्रवक्ता राजस्थान विश्वविद्यालय में अपनी सेवाएं दीं। जिसके बाद सन् 1980 में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में उनका चयन हो गया। अखिल भारतीय स्तर पर उनको 16वां रैंक मिला। अर्चना रामासुंदरम् तमिलनाडु कैडर की आईपीएस हैं। 1 अक्टूबर 1957 को जन्मीं अर्चना के पास एम.ए. के अलावा एमएससी की डिग्री भी है। एक सख्त और अनुशासित अधिकारी के तौर पर पहचानी जाने वाली अर्चना रामासुंदरम को उनकी सेवाओं के लिए 1995 में प्रेसिडेंट मेडल से भी नवाजा गया था। यह अधिकारी 2014 में भी सुर्खियों में रहीं, जब सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक के पद पर इनको नियुक्त कर दिया गया, लेकिन यह फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट पहुंच गईं और बाद में इन्हें उन्हें नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का प्रमुख बना दिया गया। उन्होंने अपने पुलिस के करियर में महिला सुरक्षा हमेशा उनकी तरजीह है। महिला हिंसा को रोकने संबंधी कई फैसले सराहनीय रहे। उन्होंने हमेशा महिलाओं की मदद को हाथ बढ़ाया और उन्हें न्याय दिलाया। एक बार अर्चना ने एक प्रोग्राम के दौरान एक ऐसी टिप्पणी की, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में अजीब तरह की असमानताएं हैंद्ध एक ओर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और यूएन जनरल असेंबली प्रेसिडेंट विजयलक्ष्मी पंडित जैसी महिलाएं रही हैं तो दूसरी ओर ज्यादातर महिलाएं गरीब, बीमारी, परंपराओं से जूझतीं और भेदभाव व हिंसा सहती हैं। अलग अलग सुरक्षा संगठनों में सेवाएं देने के बाद अर्चना अब सशस्त्र सीमा बल में एसएसबी की निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। ऐसा पहली हुआ है कि किसी महिला को सशस्त्र सीमा बल का नया प्रमुख नियुक्त किया गया हो। उन्हें नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक पद से सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) का महानिदेशक बनाया गया है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.