कश्मीर की आयशा अजीज ने 16 साल की उम्र में पायलट बनकर अपने बचपन के सपने को पूरा कर दिखा दिया कि बेटियां कुछ भी कर सकती हैं।
नई दिल्ली। कश्मीर हमेशा गोलियों की आवाजों और आतंकियों के नापाक मंसूबों के कारण चर्चा में रहता है, उसी कश्मीर की एक बेटी ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे। आयशा ने मात्र 16 साल की उम्र में पायलट का लाइसेंस हासिल किया है। बचपन के सपने को पूरा करने के बाद आयशा बेहद खुश हैं। आयशा कहती हैं कि बेटियों को आजादी मिले, तो वो आसमान छू सकती हैं।
कश्मीर छोड़कर जा बसीं मुंबई
आयशा का जन्म कश्मीर में हुआ है। उनकी मां बाराकुला जिले की रहने वाली हैं। पिता का मुंबई में बिजनेस है। आयशा का जन्म कश्मीर में हुआ, लेकिन बड़े होने पर वह मुंबई शिफ्ट हो गईं। पढ़ने-लिखने में काबिल आयशा का बचपन से सपना था कि वह आसमान से बात करें, गगन को चूमें और हवाओं के संग अठखेलियां करें। इसी सपने को देखते हुए पढ़ाई के साथ-साथ आयशा ने बॉम्बे फ्लाइंग क्ल्ब ज्वाइन किया। आयशा के पिता अब्दुल अजीज ने बेटी को हमेशा सपोर्ट किया और हौसला दिया। आयशा को 2011 में स्टूडेंट पायलट का लाइसेंस मिल गया। उस समय उनकी उम्र मात्र 16 साल थी। वह लाइसेंस पाने वाली वह यंगेस्ट स्टूडेंट पायलट थीं। सन 2016 में वह बॉम्बे फ्लाइंग क्लब से एविएशन में ग्रेजुएट हुई। साल 2017 में उन्हें कॉमर्शियल लाइसेंस मिल गया।
मां-पापा को प्लेन में बैठाकर उड़ाया
लाइसेंस मिलने के बाद आयशा ने सबसे पहले अपने माता-पिता को एयरक्राफ्ट में बैठाया और आसमान की सैर कराई। माता-पिता को साथ लेकर आसमान से बात कर रहीं आयशा के लिए ये जिंदगी का सबसे बड़ा दिन था और वह बेहद खुश भी थीं। वह नासा से एस्ट्रॉनट ट्रेनिंग भी ले चुकी हैं। आयशा बताती हैं कि वह ट्रेनिंग के दौरान सुनीता विलियम्स और जॉन ए मैक ब्राइड जैसी शख्सियत से वह रूबरू हो चुकी हैं। आज के समय में आयशा इंडियन वुमन पायलट एसोसिएशन की एक्टिव मेंबर हैं और सिंगल इंजन 152 और सेसना 172 एयरक्राफ्ट उड़ाने के लिए क्वालिफाइड हैं। वह एयरबस ए320 कमर्शियल एयरक्राफ्ट के लिए सर्टिफिकेट हासिल कर चुकी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.