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मां के शौक ने दिखाई आर्थिक मजबूती की राह

Published - Thu 24, Dec 2020

कोंग ने अचार बनाना अपनी मां से सीखा था। अपनी आर्थिक मजबूती के लिए उन्होंने एक दिन रसोई में बने अचार को फूड फेस्टिवल में उतारा। जिसकी उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया मिली। जिसके बाद उन्होंने प्रसंस्करण इकाई की शुरुआत की।

कोंग फिकारालिन वानशोंग

नई दिल्ली। कोंग फिकारालिन वानशोंग मेघालय के शिलांग की रहने वाली हैं।बतौर गृहिणी वह हमेशा अपना घर संभालने के साथ अपनी आय बढ़ाने और खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के बारे में सोचती रहती थी। कोंग की मानें तो मेरे मायके में एक बड़ा बगीचा था, जहां मेरे पिता शौकिया तौर पर फूल, सब्जी उगाते थे। मेरी मां वहीं से सब्जियां लेकर अचार और जैम बनाती थीं। उन्हें यह सब बनाने का बहुत शौक था।  खाना बनाने का हुनर और शौक, दोनों ही मुझे अपनी मां से विरासत में मिला। एक बार मैंने पड़ोसी को फलों से स्क्वेश बनाते देखा, तो मेरे दिमाग में फलों के प्रसंस्करण का विचार आया। मैंने खाद्य एवं पोषण विभाग के एक नजदीकी केंद्र पर जाकर तकरीबन दो सप्ताह का प्रशिक्षण लिया। फिर मैं घर पर कुछ नया बनाकर आस-पड़ोस के लोगों को खिलाती थी। तब तक इसे व्यवसाय बनाने का कोई इरादा नहीं था। करीब पांच वर्ष बाद मैंने शिलांग में एक स्थानीय फूड फेस्टिवल में अपना स्टॉल लगाया। वहां मेरे उत्पादों को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन मिला, तो मैंने इसे व्यावसायिक रूप दिया। इसके बाद ग्राहकों से भी ऑर्डर मिलने शुरू हो गए।    
    
ऐसे हुई शुरुआत
स्थानीय फूड फेस्टिवल में मैं बांस और मिर्च का अचार लेकर गई थी, जो हाथों-हाथ बिक गया। लोगों ने मुझसे ऑर्डर के बारे में पूछा। प्रसंस्करण इकाई के बारे में शुरू में मुझे डर था कि इसे संभालूंगी कैसे, क्योंकि मुझे मैनेजमेंट का कोई अनुभव नहीं था। मैंने दोबारा प्रशिक्षण लिया और अपनी प्रसंस्करण इकाई शुरू कर दी।

रोजगार व प्रशिक्षण दिया 
तमाम परेशानियों और दो उत्पादों के साथ शुरू हुई इकाई में अब पंद्रह-बीस तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। पांच से छह लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है। साथ ही बहुत-सी महिलाओं ने उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी लिया है। चूंकि काम बढ़ गया है, इसलिए कच्चे माल की आपूर्ति के लिए स्थानीय बाजारों के अलावा किसानों को अपने साथ जोड़ा है।

प्रेरित होकर बेकरी का काम भी शुरू किया
शिलांग के लगभग बीस से अधिक केंद्रों पर हमारे उत्पाद जाते हैं। साथ ही कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी आर्डर आ रहे हैं। मैंने बेकरी का भी काम शुरू किया है। मेरा अनुभव है कि चुनौतियां हर क्षेत्र में हैं, आपको बस अपने लिए अवसर तलाशने होंगे। यह बात मैं प्रशिक्षण के लिए आने वाली महिलाओं से साझा करती हूं।