दीपिका को बचपन से ही किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। लेकिन पहली बार ऑडियो बुक सुनने के बाद दीपिका को अहसास हुआ कि जिन्हें पढ़ने का वक्त नहीं मिलता या जो पढ़ नहीं सकते, उनके लिए किताबों को रिकॉर्ड करना चाहिए।
ऐसे लोग जिनको पढ़ना पसंद नहीं है या पढ़ नहीं सकते उनके लिए ऑडियो बुक एक अच्छा प्लेटफॉर्म है। समय के साथ-साथ जैसे-जैसे तकनीक उन्नत हुई उसी के साथ ऑडियो बुक का फैनबेस भी बढ़ता गया। लेकिन स्थानीय भाषा में अभी भी ऑडियो बुक की कमी है। इसी को देखते हुए दीपिका अरुण ने तमिल में साहित्य की किताबें रिकॉर्ड करने का फैसला किया।
चेन्नई की रहने वाली दीपिका अरुण एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता तमिल की प्रसिद्ध पत्रिकाओं के लिए लिखते थे। उच्च शिक्षा के बाद दीपिका आईटी सेक्टर में नौकरी करने लगी। दीपिका अंग्रेजी और तमिल, दोनों भाषाओं में किताबे पढ़कर बड़ी हुई हैं। वह हैरी पॉटर शृंखला की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं। एक दिन उनके भाई ने स्टीफन फ्राई की आवाज में एक ऑडियो बुक सुनने के लिए कहा। पढ़ने की आदत के चलते वह थोड़ी उलझन में थी, लेकिन जब दीपिका ने उसे सुनना शुरू किया, तो बस सुनती ही गई। खाना बनाते समय, सफाई करते हुए और यहां तक कि गाड़ी चलाते हुए भी। दीपिका तमिल की कई बेहतरीन पुस्तकें समय न मिलने के चलते नहीं पढ़ पाई थी, लिहाजा उन किताबों को ऑडियो बुक के रूप में सुनना चाहती थी। उन्होंने उन किताबों की खोज शुरू कर दी। कुछ यूट्यूब चैनल ने तमिल में ऑडियो बुक जारी किए थे। लेकिन अधिकांश के उच्चारण सही नहीं थे। तब दीपिका के दिमाग में एक विचार आया कि उनके जैसे बहुत लोग होंगे, जो किताबें पढ़ नहीं पाते, लेकिन सुनना पसंद करेंगे। इसलिए उन्होंने एक माइक और कुछ साउंड एडिटिंग सॉफ्टवेयर में निवेश करने के बाद कढाई ओसाई (कहानी की ध्वनि) चैनल की शुरूआत की। इसका उद्देश्य लोगों तक गुणवत्तापूर्ण पठन सामग्री की पहुंच आसान बनाना है।
घर में सेटअप
दीपिका ने अपने घर के एक कमरे में छोटा-सा ऑडियो रिकॉर्डिंग सेटअप बनाया हुआ है। वहीं पर वह तमिल साहित्य की किताबें रिकॉर्ड करती हैं और खुद ही एडिट करती हैं। वह कहती हैं, हर रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया मेरे लिए नया और सुखद अनुभव है। मैंने पार्थिबन कनवू, अंजलि और पोई मान करदु जैसी किताबों पर काम किया है।
प्रतिक्रिया से खुशी
दीपिका किसी भी किताब की रिकॉर्डिग करने से पहले उसके लेखक से जरूर अनुमति लेती हैं। जब उन्होंने यह काम शुरू किया तब उन्हें अहसास हुआ कि दुनिया भर में बहुत से लोग हैं, जो तमिल में गुणवत्तापूर्ण सामग्री की तलाश कर रहे हैं। किताबें सुनने के बाद आने वाली लोग प्रतिक्रिया दीपिका को और काम करने की प्रेरणा देती है।
झूले की शुरुआत
दीपिका कहती हैं, जब मेरी आईटी कंपनी का दूसरी कंपनी में विलय हो गया, तब मैंने नौकरी छोड़ दी। वर्ष 2016 में मैंने छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए झूला नाम से एक गतिविधि केंद्र शुरू किया। मेरा मानना है कि बच्चों में पढ़ने की आदत बेहद कम उम्र में ही विकसित की जानी चाहिए। झूला में बच्चों को अपनी पसंद की किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.