आज फादर डे है और आज के दिन बेटियों ने अपने पिता को न केवल तोहफे दिए बल्कि उनके जीवन में उनके महत्व को भी बताया। कइयों ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव शेयर किए तो कइयों ने अपने मोबाइल फोन के स्टे्टस पर अपने पिता को दुनिया का बेस्ट पिता बताया। इसी संबंध में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य दीप्ति शर्मा कहती हैं कि पिता ने मेरे शौक को मेरा करियर बना दिया। आज मैं जो कुछ भी हूं, बस उन्हीं की देन हूं। थैक्यू पापा।
नई दिल्ली। बतौर दीप्ति जब लोगों ने यह कहना शुरू किया कि लड़की होकर लड़कों के साथ खेलती है आपकी बेटी। तो बस, मेरे पिता भगवान शर्मा को यह बात दिल पर लग गई। मेरे पिता ने मेरे खेल के शौक को ही मेरा करियर बना दिया। एक पिता का अपनी बेटी के प्रति इससे बड़ा समर्पण कोई दूसरा हो नहीं सकता, आज मैं जो कुछ भी हूं, वह सब कुछ मेरे पिता की देन है। वह कहती हैं कि आज मैं जो कुछ भी हूं, सब पिता जी की वजह से ही हूं। मुझे उन पर बहुत फक्र होता है साथ ही अपने आप भी कि भगवान ने मुझे ऐसे पिता दिए। जिस दिन भारतीय महिला क्रिकेट टीम में मेरा चयन हुआ, उस दिन शायद इस दुनिया में सबसे ज्यादा खुश मेरे पिता ही थे। जब कभी भी मैं मायूस हुई, उन्होंने हमेशा मेरे सिर पर हाथ रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। थैक्यू पापा, आई लव यू सो मच।
मेरे पिता, मेरी सबसे बड़ी पूंजी : अलीशा राघव
अंतरराष्ट्रीय चित्रकार अलीशा राघव के अनुसार मेरी रचनात्मक दुनिया को मेरे पिता अनिरुद्ध राघव ने पंख लगाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में आज तक मैंने जितने भी अवार्ड हासिल किए, वो मेरे पिता की देन हैं। ‘फादर्स डे’ मेरे लिए तो मानो रोज ही है क्योंकि मेरे पापा मेरी किसी भी इच्छा को पूरा करने के लिए हर पल तैयार रहते हैं। पेंटिंग की दुनिया में मुझे बचपन में आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने मेरा एक बार जो हाथ पकड़ा, तो फिर कभी नहीं छोड़ा। पेंटिंग की दुनिया में मेरी हर सफलता के लिए मेरे पापा ही मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं। सरल , सजग और स्नेहिल पिता का साया मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.