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पहले नक्सलवाद का खत्मा किया, अब आतंकवाद का करेंगी सफाया

Published - Thu 03, Sep 2020

आतंकवाद की त्रासदी झेल रहे श्रीनगर सेक्टर में सीआरपीएफ के आला ओहदे पर कभी किसी महिला अफसर की तैनाती नहीं हुई, चारू सिन्हा पहली महिला अफसर हैं, जिन्हें आईजी का पद सौंप कर इस अतिसंवेदनशील इलाके में तैनात किया गया है।

charu sinha

आतंकवाद की त्रासदी झेल रहे श्रीनगर सेक्टर में सीआरपीएफ के आला ओहदे पर कभी किसी महिला अफसर की तैनाती नहीं हुई, चारू सिन्हा पहली महिला अफसर हैं, जिन्हें आईजी का पद सौंप कर इस अतिसंवेदनशील इलाके में तैनात किया गया है। इससे पहले वो बिहार से नक्सलवाद का सफलतापूर्वक खात्मा कर चुकी हैं, अब उनसे अपेक्षा की जा रही है कि वे घाटी में आतंकवाद का भी सफाया करने में सफल होंगी।
 
जब मैं फोर्स में शामिल हुई तो एक पुरुष प्रधान क्षेत्र में, ये एक मुश्किल काम था। मीडिया हमेशा ये जानने की फिराक में रहता था कि मैं कहां जाती हूं, किससे मिलती हूं... जैसे मेरी कोई निजी लाइफ ही न हो, लेकिन धीरे-धीरे चीजें बदल गईं। ये कहना है चारू सिन्हा का, जिन्हें हाल ही में श्रीनगर सेक्टर के लिए सीआरपीएफ महानिरीक्षक (आईजी) नियुक्त किया गया है। जी हां, देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब आतंकवादियों से प्रभावित इलाके की जिम्मेदारी एक महिला को सौंपी गई है। चारू सिन्हा के लिए भी यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि वह पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनीं हैं, जिन्हें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल श्रीनगर सेक्टर के महानिरीक्षक के रूप में तैनाती मिली है। सीआरपीएफ-श्रीनगर सेक्टर ब्रेन निशात क्षेत्र में स्थित है। इस यूनिट ने साल 2005 में काम करना शुरू कर दिया था। सीआरपीएफ के श्रीनगर सेक्टर में जम्मू-कश्मीर के तीन जिले आते हैं- बडगाम, गांदरबल और श्रीनगर। इसके साथ ही लद्दाख भी सीआरपीएफ के इसी सेक्टर में आता है। इसमें दो रेंज, 22 कार्यकारी इकाइयां और तीन महिला कंपनियां शामिल हैं। इन इलाकों में होने वाले सभी ऑपरेशंस को चारू सिन्हा हेड करेंगी। यह उनके लिए एक और उपलब्धि है। उम्मीद की जा रही है कि चारू सिन्हा के नेतृत्व में यहां आतंकवाद का सफाया तो होगा ही, स्‍थानीय लोगों की जिंदगी में भी सुधार होगा।
 
पहले नक्सलवाद को खत्म करने का काम कर चुकी हैं
चारू सिन्हा 1996 बैच की तेलंगाना कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं। तेलंगाना पुलिस में वह निदेशक एसीबी के पद पर तैनात थीं। इसके बाद अप्रैल 2018 में उनकी नियुक्त‍ि आईजी के तौर पर सीआरपीएफ बिहार में हुई। वहां उन्होंने नक्सलवाद को खत्म करने के लिए अच्छा काम किया था, जिसकी उन्हें काफी तारीफ मिली थी। आईजी चारू सिन्हा के नेतृत्व में विभिन्न नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए। इसके बाद में उन्हें सीआरपीएफ जम्मू में बतौर आईजी स्थानांतरित कर दिया गया।
 
रूढ़ियों को तोड़ने में विश्वास रखती हैं चारू सिन्हा
अपने कार्यक्षेत्र में 24 साल का अनुभव वालीं आईपीएस चारू सिन्हा जेंडर बाधाओं को ही नहीं, बल्कि उनके अंदर निहित रूढ़ियों को भी तोड़ने में विश्वास रखती हैं। 2018 में जब वह डेपुटेशन पर सीआरपीएफ बिहार में आईं थीं, तब उनकी ड्यूटी नक्सलवादी इलाके में लगी थी। लेकिन चारू घबराई नहीं, बल्कि इसे उन्होंने बहुत ही सकारात्मक रूप से लिया। उस दौरान उन्होंने गुटों के झगड़ों और सीआरपीएफ में दिखने वाले मानसिक स्वास्थ्य के संकट से भी लोहा लिया। उन्होंने 2019 में बिहार के सीआरपीएफ कर्मियों को ड्यूटी पर तनावमुक्त कैसे रहा जाए...वर्कशॉप के जरिए इसकी खास ट्रेनिंग दिलवाई। इस वर्कशॉप के पीछे विचार ये था कि लिंग संबंधी रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ा जाए और कार्मिकों की सहायता की जाए। साथ ही सहकर्मियों व अपने परिवार के साथ, उनकी बातचीत को सार्थक बनाया जाए, खासकर पत्नी के साथ, ताकि उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का बोझ अकेले अपने कंधों पर महसूस न हो। वो वर्कशॉप सीआरपीएफ महानिरीक्षक चारु सिन्हा के दिमाग की ही उपज थी।