कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों यह पंक्तियां कुछ अलग काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। कुछ ऐसा ही अलग हटकर काम कर रही हैं बॉलीवुड की चीफ लाइटिंग टेक्निशियन हेतल देधिया। उन्हें फिल्मी भाषा में गैफर कहा जाता है।
कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों यह पंक्तियां कुछ अलग काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। कुछ ऐसा ही अलग हटकर काम कर रही हैं बॉलीवुड की चीफ लाइटिंग टेक्निशियन हेतल देधिया। उन्हें फिल्मी भाषा में गैफर कहा जाता है। फिल्म जगत में वह अकेली लाइटिंग टेक्निशियन हैं। फिल्म का सेट हो या किसी सीरियल का, आपको अक्सर कैमरामैन के साथ लाइटिंग करते हुए पुरुष ही दिखेंगे। ऐसे में हेतल ने वाकई बहुत हिम्मत का काम किया है। वो फिल्मों के सेट पर अकेली महिला गैफर के तौर पर पूरी मेहनत, आत्मविश्वास और दृढ़ता से अपने काम को अंजाम देती हैं।
सबसे बड़ी बात ये है कि इस प्रोफेशन पर अभी तक पुरुषों का ही एकाधिकार माना जाता था। तर्क दिया जाता था कि बड़ी-बड़ी लाइट्स को उठाने में पुरुष ही सक्षम होते हैं और इंडस्ट्री के शुरुआती दौर से ही इस काम को करते आ रहे हैं लेकिन हेतल ने इस पुर्वानुमान को तोड़ा है।
आज बॉलीवुड का जाना-माना नाम हैं
हेतल के पिता मूलचंद देधिया भी बॉलीवुड इंडस्ट्री के जाने-माने गैफर थे, लेकिन अब वह अपना बिजनेस करते हैं। हेतल ने 19 साल की उम्र में गैफर बनने की ट्रेनिंग लेने की शुरुआत की थी। वह 'कार्तिक कॉलिंग कार्तिक', 'लक बाय चांस', गुजारिश जैसी हिंदी फिल्मों में काम करने के साथ अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन 'ईट-प्रे-लव' और 'एमआई 4-द गोस्ट प्रोटोकॉल' में भी काम कर चुकी हैं।
कम नहीं थीं चुनौतियां
हेतल बताती हैं कि उनका यह सफर चुनौतियों से भरा रहा लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य की ओर मजबूती के साथ हमेशा बढ़ती रहीं। जब वो अपने पिता की कंपनी में लाइटिंग का काम करती थीं तो उन्हीं की कंपनी के लाइटबॉय उनका मजाक उड़ाते थे। जितना उन्होंने अपना उपहास देखा, उतना ही उनका इरादा इस क्षेत्र में बड़ा नाम कमाने का पक्का होता गया। इसी का नतीजा है कि जो कभी उन पर कटाक्ष करते थे, वही अब उसकी तारीफ करते नहीं थकते।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.