इंदौर की जासमीन लूला ने 6 साल पहले दो कर्मचारियों के साथ केक बनाने का काम शुरू किया था।
इंदौर। मप्र के इंदौर की रहने वाली जासमीन लूला एक ऐसी सफल उद्यमी हैं, जिन्होंने मुसीबतों से लड़कर अपना मुकाम पाया है। दो लोगों को साथ लेकर शुरू की उनकी केक फैक्ट्री आज न केवल आज एक सफल फैक्ट्री बन चुकी है, वहीं इस फैक्ट्री का टर्नओवर भी दस करोड़ सालाना है। जासमीन की इस सफलता के पीछे की कहानी भी बेहद दुखभरी है। लेकिन जासमीन के हौंसले और लगन के चलते उन्होंने वो मुकाम पा लिया, जिसकी वो इच्छा रखती थीं। छह साल पहले जासमीन ने दो लोगों के साथ केक बनानेकी फैक्टरी शुरू की थी। इसी दौरान उन्हें पता चला कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है। यह सुनकर जासमीन को धक्का लगा। जासमीन ने सोचा कि अभी तो उन्होंने शुरुआत ही की है, उनके साथ कई परिवारों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। अगर वो हार गईं, तो गलत होगा। चूंकि जासमीन का कैंस शुरुआती स्टेज में था, तो उन्होंने इलाज कराना शुरू किया। एक बार तो उन्हें लगा कि जिंदगी खत्म हो गई है। लेकिन परिवार और दोस्तों ने जो हौसला दिया, उससे उन्हें लड़ने की शक्ति मिली। कैंसर का इलाज लेने के साथ-साथ उन्होंने फैक्टरी में काम करना भी जारी रखा। तीन साल के कठिन परिश्रम के चलते उनकी फैक्टरी ने कंपनी का रूप ले लिया। उनका केक अब ऑनलाइन बिकने लगा था और एक ब्रांड बन गया था। इसी बीच चिकित्सकों ने एक खुशखबरी दी कि वह कैंसर से बाहर आ चुकी है। जो फैक्टरी दो लोगों से शुरू हुई थी अब उसमें सौ आदमी का कर रहे थे। पहले जहां उनकी कंपनी तीन या चार तरह के केक बनाती थी, लेकिन अब वो 250 से ज्यादा तरह के केक का निर्माण करती हैं।
जासमीन कहती हैं कि उन्हें जब बीमारी का पता चला, तो वो टूट चुकी थीं, लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि अगर वो टूट गईं, तो उनके बच्चों का परिवार का क्या होगा। उन्होंने अपनी बीमारी का पता बच्चों को नहीं चलने दिया। बीमारी के दौरान उनका ज्यादातर समय घर में ही बीतता था, तो उन्होंने घर पर बैठकर ऑस्ट्रेलियन स्कूल ऑफ पतेश्री से ऑनलाइन बेकरी कोर्स किया। घर में ही कैमरे लगवा लिए और वहीं से फैक्टरी का संचालन करने
लगी। वो कहती हैं कि इस बीमारी में मरीज को अकेले नहीं रहना चाहिए। योग करें, व्यायाम करें, गेम्स खेलें। खुद से और परिवार से प्यार करना सीखें, क्योंकि खुद से प्यार करने वाला ही इस बीमारी को हरा सकता है। अब मैं कैंसर फाउंडेशन से जुड़ चुकी हूं और दूसरे पीड़ितों को बीमारी से लड़ने का हौसला देती हूं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.