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साइबर अपराध पर लगाम लगाने निकलीं कामाक्षी

Published - Sat 19, Oct 2019

गाजियाबाद की कामाक्षी शर्मा देखने में साधारण लड़कियों जैसी हैं, लेकिन उनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है। साइबर अपराध रोकने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देने वाली कामाक्षी का मकसद साइबर अपराध को जड़ से खत्म करना है।

इंटरनेट युग और हर पॉकेट में मोबाइल जब से आया है, साइबर अपराध के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। साइबर अपराध से बचने की समझ न तो आम जनता में न ही पुलिस कर्मियों को इसकी खासा जानकारी है। यही कारण है कि साइबर अपराध होने पर पीड़ित इसे अपना नसीब मानकर शांत बैठ जाता है। लेकिन गाजियाबाद की कामाक्षी शर्मा की दो सहेलियों के साथ जब यह अपराध घटा तो उन्होंने साइबर अपराध के खिलाफ अभियान चलाने की ठानी। आज व कश्मीर से कन्याकुमारी तक पुलिस से लेकर छात्रों और आम लोगों को साइबर अपराध के प्रति जागरुक करने का काम कर रही हैं।
गाजियाबाद की कामाक्षी ने जब इंटर की परीक्षा पास की तो वह गढ़वाल विश्वविद्यालय से कंम्यूटर साइंस में बीटेक किया। चूंकि उनकी दिलचस्पी साइबर अपराध को लेकर थी, तो उन्होंने इसपर रिसर्च, जानकारी आदि बढ़ाना शुरू किया। धीरे-धीरे वह साइबर अपराध की एक्सपर्ट बनी गईं।

लोगों को जागरुक करने की ठानी
पढ़ाई के दौरान ही कामाक्षी ने साइबर क्राइम के खिलाफ लोगों में अलख जगाना ठान लिया था। यही वजह है कि पढ़ाई पूरी होने के बाद उसने नौकरी की तलाश नहीं करके साइबर ठगी से बचाने के लिए लोगों को प्रेरित करना शुरू किया। उसने सबसे पहले पुलिस के कुछ अधिकारियों से संपर्क किया। पुलिस को साइबर अपराध से निपटने के तौर तरीके बताए। इसके बाद देशभर में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया। खास बात यह है कि किसी संस्था से जुड़े बिना ही नौ सितंबर को कश्मीर से यात्रा आरंभ की गई। यात्रा कश्मीर से शुरू होकर पंजाब, चंडीगढ़ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र होते हुए दक्षिण भारत में 13 अक्तूबर को खत्म हुई। इस दौरान कामाक्षी ने बताया कि एसपी जम्मू विनय शर्मा और एसएचओ परवेज ने कार्यक्रम को सफल बनाने में मदद की। पंजाब के होशियारपुर में एसएसपी गौरव गर्ग ने खुद दिलचस्पी  लेकर कार्यशाला का आयोजन कराया। इसी तरह लुधियाना में गोष्ठी कर युवाओं को साइबर अपराध से बचने की जानकारी दी। वह जहां जाती हैं, वहां के लोगों को साइबर अपराध की बारीकियां बड़े सरल शब्दों में समझाती हैं, जिससे लोग इससे बच सकें।

शहर-शहर घूम रहीं है कामाक्षी
साइबर अपराध पर रोक लगाने और लोगों को जागरुक करने के लिए कामाक्षी देश के कई शहरों में जाकर कार्यशाला कर चुकी हैं। वह अब तक देश के  25 से ज्यादा शहरों में जा चुकी हैं। इन शहरों में चंडीगढ़ , नाहन , देहरादून , रुड़की , मेरठ , दिल्ली , फरीदाबाद, जयपुर, कोटा ,झालावाड़,अगर मालवा इंदौर ,वड़ोदरा, सूरत ,मुंबई, पुणे,सोलापुर, हैदराबाद , अनंतपुर, बेंगलुरु और कोयंबटूर आदि शहरों में भी साइबर ठगी से बचने पर कार्यक्रम कराए गए।

लाखों की नौकरी ठुकराई
साइबर अपराध को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने वाली कामाक्षी ने एक डिजिटल एप का प्रचार करने के लिए मिलने वाली लाखों की राशि को ठुकरा दिया। एक आईटी कंपनी में लाखों रुपये महीना की सैलरी वाली नौकरी को भी वो न कह चुकी हैं। कामाक्षी निशुल्क पुलिस और जनता के लिए काम कर रही हैं।

मददगार रहे पुलिसवाले
कामाक्षी के इस सराहनीय कार्य को आगे बढ़ाने के लिए और एक माह की यात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में दो पुलिसकर्मियों का विशेष योगदान है। इसमें नोएडा एसटीएफ सीओ विनोद सिरोही और दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर राजपाल सिंह डबास की मदद सराहनीय है। दोनों अधिकारियों ने कई जिलों के पुलिस कप्तान से बात कर उसका कार्यक्रम सफलतापूर्वक कराने में मदद की।