मुंबई में रहने वाली महज 12 साल की बहादुर बेटी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसके बारे में सोच कर भी कई लोगों की सांसें फूल जाती हैं। वह दुनिया की जटिलतम चोटियों को फतह करने वालीं दुनिया की सबसे छोटी पर्वतारोही भी हैं। आइए जानते हैं इस बहादुर बेटी के बारे में.....
नई दिल्ली। हौसले यदि बड़े हों तो उम्र मायने नहीं रखती। यह बात एकदम सटीक बैठती है कक्षा सातवीं में पढ़ने वाली 12 साल की काम्या कार्तिकेयन पर। काम्या ने छोटी सी उम्र में वह कारनामा कर दिखाया है, जिसके बारे में बड़े से बड़ा पर्वतारोही सोचकर भी घबराता है। मुंबई के नेवी चिल्ड्रन स्कूल में पढ़ने वाली काम्या ने 1 फरवरी को एशिया के बाहर की सबसे ऊंची चोटी एकांकगुआ को फतह किया। एकांकगुआ की चोटी समुद्र तल से 6962 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। माउंट एकांकागुआ दक्षिणी अमेरिका के अर्जेंटिना में स्थित एंडीज पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी है।
कड़ी मेहनत से हासिल किया यह मुकाम
मुंबई में रहने वाली काम्या के पिता एस कार्तिकेयन नौसेना में कमांडर हैं। उन्होंने बताया कि काम्या ने इस मुकाम को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है। लगातार लगन और मेहनत के कारण ही उसे यह सफलता मिली है। काम्या इसके लिए लंबे समय से शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हो रही थी। साहसिक खेलों में उनकी नियमित भागीदारी ने भी उसकी काफी मदद की है।
पहले भी बढ़ा चुकीं हैं मान
काम्या की मां शिक्षिका हैं। काम्या के पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक उसमें पर्वतारोहण का जुनून बचपन से ही था। उसकी इस लगन को देखते हुए परिवार वालों ने भी उसका शुरू से हौसला बढ़ाया और आगे बढ़ने में मदद की। काम्या इससे पहले भी कई ऊंचे पर्वतों पर चढ़ाई की चुकी हैं। उन्होंने साल 2019 में लद्दाख की 6260 मीटर ऊंची माउंट मेंटॉक कांगड़ी 2 पर भी जीत हासिल कर तिरंगा लहराया था। काम्या के परिजनों के मुताबिक वह तीन साल की उम्र में ही पर्वतारोहण का अभ्यास शुरू कर दिया था। उस दौरान वह लोनावला में बेसिक ट्रैक पर जाती थी। इसके बाद 9 साल की उम्र में काम्या ने उत्तराखंड में कई पहाड़ों पर चढ़ाई की थी। इसके बाद दस साल की उम्र में उन्होंने नेपाल में 5346 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद एवरेस्ट बेस कैंप पर चढ़ाई की थी। बता दें कि काम्या माउंट स्टोक कांगड़ी पर पहुंचने वाली सबसे उम्र की माउंटेनियर भी रही हैं।
2021 में एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम पूरा करने का लक्ष्य
काम्या ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (5895 मीटर), यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस (5642 मीटर) और ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट कोसुज्को (2228 मीटर) पर भी चढ़ाई करने में कामयाबी हासिल की। वह अगले साल एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम को पूरा करना चाहती हैं। इसके लिए उन्हें सभी महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करना होगा।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.