अचार, जैम बनाना कोंग की मां का शौक था। यह उन्हें विरासत में मिला। अपनी आर्थिक मजबूती के लिए कोंग फिकारालिन ने रसोई में बने अचार को फूड फेस्टिवल में उतारा, तो अच्छी प्रतिक्रिया मिली, फिर उन्होंने प्रसंस्करण इकाई की शुरुआत की। अब उने प्रोडक्ट की मांग विदेशों में भी हैं।
यदि आप अपने शौक को अपना व्यवसाय बनाते हैं तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसी ही कुछ कहानी है मेघालय के शिलांग की रहने वाली कोंग फिकारालिन वानशोंग की। कोंग फिकारालिन को युवावस्था से ही खाना बनाने का बहुत शौक था। उनकी माता को भी खाना बनाने में बहुत रुचि थी तो कह सकते हैं उन्हें यह हुनर अपनी माता से विरासत में मिला। फिकारालिन वानशोंग पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से अपनी फूड प्रोसेसिंग यूनिट चला रही हैं। फूड प्रोसेसिंग यूनिट की सफलता के बाद उन्होंने बेकरी में भी अपना हाथ आजमाया और अब उनका नाम शहर के मशहूर बेकर्स में शामिल हो गया है। उन्हें लोग प्यार से ‘कोंग कारा’ के नाम से जानते हैं।
उनके चार बच्चे हैं। जब वह गृहिणी थी तो अपना घर संभालने के साथ हमेशा अपनी आय बढ़ाने और खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के बारे में सोचती रहती थी। उनके मायके में एक बड़ा बगीचा था, जहां उनके पिता शौकिया तौर पर फूल, सब्जी उगाते थे। उनकी मां वहीं से सब्जियां लेकर अचार और जैम बनाती थी। खाना बनाने का हुनर और शौक, दोनों ही मुझे अपनी मां से विरासत में मिला। एक बार कोंग ने पड़ोसी को फलों से स्क्वेश बनाते देखा, तो उनके दिमाग में फलों के प्रसंस्करण का विचार आया। उन्होंने खाद्य एवं पोषण विभाग के एक नजदीकी केंद्र पर जाकर तकरीबन दो सप्ताह का प्रशिक्षण लिया। फिर घर पर कुछ नया बनाकर आस-पड़ोस के लोगों को खिलाया। उस समय तक उनका इसे व्यवसाय बनाने का कोई इरादा नहीं था। करीब पांच साल बाद उन्होंने शिलांग में एक स्थानीय फूड फेस्टिवल में अपना स्टॉल लगाया। वहां उनके उत्पादों को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन मिला, तो उन्होंने इसे व्यावसायिक रूप दिया। इसके बाद ग्राहकों से भी ऑर्डर मिलने शुरू हो गए। इस तरह उनका व्यवसाय स्थापित हो गया।
शुरुआत ऐसे हुई
स्थानीय फूड फेस्टिवल में कोंग फिकारालिन वानशोंग बांस और मिर्च का अचार लेकर गई थी, जो हाथों-हाथ बिक गया। वहीं पर लोगों उनसे ऑर्डर के बारे में पूछा। प्रसंस्करण इकाई के बारे में शुरू में तो उन्हें डर सा लग रहा था कि इसे कैसे संभालूंगी, क्योंकि उनको मैनेजमेंट का कोई अनुभव नहीं था। तब उन्होंने दोबारा प्रशिक्षण लिया और अपनी प्रसंस्करण इकाई शुरू कर दी।
रोजगार व प्रशिक्षण
तमाम परेशानियों और दो उत्पादों के साथ शुरू हुई इकाई में अब पंद्रह-बीस तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। पांच से छह लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है। साथ ही बहुत-सी महिलाओं ने उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी लिया है। चूंकि काम बढ़ गया है, इसलिए कच्चे माल की आपूर्ति के लिए स्थानीय बाजारों के अलावा किसानों को अपने साथ जोड़ा लिया है।
बेकरी का काम
शिलांग के लगभग बीस से अधिक केंद्रों पर उनके उत्पाद जाते हैं। अब तो कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी आर्डर आने लगे हैं। उन्होंनं बेकरी का भी काम शुरू किया है। वह कहती हैं, मेरा अनुभव है कि चुनौतियां हर क्षेत्र में हैं, आपको बस अपने लिए अवसर तलाशने होंगे। यह बात मैं प्रशिक्षण के लिए आने वाली महिलाओं से साझा करती हूं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.