अमेरिकी साहित्यकार और कवयित्री 77 वर्षीय लुइज ग्लिक को 2020 का साहित्य नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। जब उन्हें फोन से यह जानकारी मिली, तो वह 'आश्चर्य चकित' हो गईं। इन दिनों वह अमेरिका के मैसेच्युसेट्स शहर में रहती हैं और यहां के येल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं।
अमेरिकी साहित्यकार और कवयित्री 77 वर्षीय लुइज ग्लिक को 2020 का साहित्य नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। जब उन्हें फोन से यह जानकारी मिली, तो वह 'आश्चर्य चकित' हो गईं। इन दिनों वह अमेरिका के मैसेच्युसेट्स शहर में रहती हैं और यहां के येल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं।
इसलिए चुना गया नोबेल सम्मान के लिए
कवयित्री को साहित्य का नोबेल सम्मान देते हुए स्वीडिस एकेडमी ने कहा कि लुईस ग्लिक को उनकी बेमिसाल काव्यात्मक आवाज के लिए यह सम्मान दिया गया है, जो खूबसूरती के साथ व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक बनाता है। उनकी कविताएं आमतौर पर बाल्यावस्था, पारिवारिक जीवन, माता-पिता और भाई-बहनों के साथ घनिष्ठ संबंधों पर केंद्रित रही हैं और मानवीय दर्द और उसके जीवन की तमाम जटिलताओं को बयां करती हैं। अकादमी ने कहा कि उसका 2006 का आया काव्य संग्रह ‘एवर्नो’ उत्कृष्ट संग्रह था। अपनी रचनाओं में वह ग्रीक पौराणिक कथाओं और उसके पात्रों, जैसे- पर्सपेफोन और एरीडाइस से भी प्रेरणा लेती हैं, जो अक्सर विश्वासघात का शिकार होते हैं। नोबेल पुरस्कार कमेटी के अध्यक्ष एंड्रेस ऑल्सन ने कवियत्री की तारीफ करते हुए कहा कि 'उनके पास बातों को कहने का स्पष्टवादी और समझौता ना करने वाला अंदाज है, जो उनकी रचनाओं को और बेहतरीन बनाता है।'
1968 में पहली किताब लिखी, नाम था-फर्स्ट बॉर्न
कवियत्री लुइज ग्लिक का जन्म 1943 में न्यूयॉर्क में हुआ था। उनके माता-पिता हंगरी के आप्रवासी थे, जो अमेरिका में जाकर बस गए। लुइज ग्लिक को बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था। इसी शौक के चलते उन्होंने 1968 में अपनी पहली किताब लिखी, जिसका नाम था-फर्स्ट बॉर्न। लुइज ग्लिक जल्द ही अमेरिका की प्रसिद्ध साहित्यकार बन गईं। अमेरिकी के समकालीन साहित्य में सबसे प्रमुख कवियों में उनका नाम भी शामिल हो गया। लुइज ग्लिक की कविताओं के 12 संग्रह और कविता पर निबंध के कुछ संस्करण भी प्रकाशित हो चुके हैं। साल 1992 में आए ‘द वर्ल्ड आइरिस’ को लुइज ग्लिक के बेहतरीन कविता संग्रह में शुमार किया जाता है। इसमें ‘स्नोड्रॉप’ कविता में ठंड के बाद पटरी पर लौटी जिंदगी को दिखाया गया है। इसके अलावा ‘डिसेंडिंग फिगर’ और ‘द ट्राइंफ ऑफ एकिलेस’ जैसे संग्रह भी लुइज ग्लिक की पहचान कराते हैं।
भारत के साहित्यकारों ने दी बधाई
लुइज ग्लिक को साहित्य के लिए दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान मिलने पर भारत के साहित्यकारों ने भी लुईस की जमकर प्रशंसा की और उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
और भी जीते हैं पुरस्कार
लुइज ग्लिक यह नोबेल प्राप्त करने वाली 16वीं महिला और पहली अमेरिकी महिला हैं। लुइज ग्लिक को साल 1993 में पुलित्जर पुरस्कार उनकी रचना 'द वाइल्ड आइरिश' के लिए दिया गया था। साल 2014 में उन्हें नेशनल बुक अवॉर्ड से नवाजा गया। साल 2008 में उनको वालेस स्टीवेंस पुरस्कार, 2001 में उन्हें बोलिंजन प्राइज़ फॉर पोएट्री और 2015 नेशनल ह्युमेनिटीज मेडल दिया गया। ग्लिक 1993 में 'बेस्ट अमेरिकन पोएट्री' की संपादक रही थीं। उन्होंने 2003-04 से कांग्रेस की लाइब्रेरी में पोएट लिट्रेचर कंसल्टेंट के रूप में काम किया था।
10 दिसंबर को ग्रहण करेंगी पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार के तहत स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 8.20 करोड़ रुपये) की राशि दी जाती है। स्वीडिश क्रोनर स्वीडन की मुद्रा है। यह पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है। लुइज ग्लिक को यह नोबेल पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिया जाएगा।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.