लॉकडाउन के दौरान नित्या ने मानसिक समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए एक हेल्पलाइन ‘ब्रीफ रिलीफ’ की शुरुआत की, जिसके तहत करीब 27 डॉक्टरों ने छह सौ से अधिक मानसिक समस्या से पीड़ित व्यक्तियों की मदद की।
नित्या जे राव पेशे से मनोचिकित्सक हैं और बंगलूरू की रहने वाली हैं। नित्या ने अपनी टीम के साथ मिलकर लॉकडाउन के दौरान मानसिक रूप से परेशान चल रहे कई लोगों को उबारा। हालांकि यह एक विडंबना ही है कि हमारे देश में मनोचिकित्सक का भविष्य उतना उज्ज्वल नहीं है। क्योंकि हमारे देश में मानसिक बीमारी लोगों को बीमारी लगती ही नहीं। यही कारण है कि हमारे यहां बहुत कल लोग है जो मनो विज्ञान पढ़ते हैं। जो पढ़ते भी हैं वो ज्यादातर चिकित्सक ब्रिटेन और अमेरिका में जाकर काम करते हैं। जबकि देश में उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। जब नित्या ने अपने आसपास ही मानसिक बीमार लोगों को देखा तब उन्होंने फैसला किया कि मुझे मनोचिकित्सक बनना है और देश में रहकर काम करना है। नित्या बताती हैं, पढ़ाई के बाद काम करने के दौरान मुझे एहसास हुआ कि व्यवहारिक व अकादमिक रूप से मनोविज्ञान सीखने-सिखाने के बीच एक बड़ा अंतर है। मैंने देखा कि मनोविज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में वर्णित बीमारियों से जमीनी वास्तविकता काफी अलग है। मैं पश्चिमी देशों की तरह अपने देश में एक ऐसा काम शुरू करना चाहती थी, जहां मानसिक रूप से परेशान लोग आ सकें, खुद को अभिव्यक्त कर सकें और सुरक्षित रह सकें। नित्या ने इसी उद्देश्य के साथ अपने एक सह-संस्थापक ने हर्ट इट आउट की शुरुआत की। कोविड19 के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान उन्होंने देखा कि लोग मानसिक समस्याओं के चलते परेशान हो रहे हैं। इसलिए एक अप्रैल से एक हेल्पलाइन ‘ब्रीफ रिलीफ’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य मुफ्त मानसिक चिकित्सा सेवा देना था। करीब 27 मनोवैज्ञानिकों ने इसमें स्वेच्छा से हिस्सा लिया और छह सौ से अधिक व्यक्तियों की मदद की।
मनोचिकित्सा शिविर
हार्ट इट आउट एक डेटा-संचालित प्लेटफॉर्म है, जो उपचार शुरू करने से पहले 16 सप्ताह के लिए मनोवैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करता है और अवसाद, चिंता, परिवार और रिश्तों, करियर में मार्गदर्शन व बेहतर जीवन शैली जैसे मुद्दों के समाधान के लिए मनोचिकित्सा सेवा प्रदान करता है। साथ ही यह शिविरों का आयोजन भी करता है।
चैटबॉट का निर्माण
नित्या ने रिचमंड फेलोशिप सोसाइटी से पुनर्वास मनोविज्ञान में परास्नातक किया। पढ़ाई के बाद राउंडग्लास नाम की एक फर्म के साथ काम किया। वहां उन्होंने स्वास्थ्य और तकनीकी क्षेत्रों में सामाजिक उद्यमियों के लिए एक फेलोशिप डिजाइन और महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और गुजरात में कई विश्वविद्यालयों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता ऐप चैटबॉट का निर्माण किया।
मनोचिकित्सकों की कमी
नित्या का मानना है कि कई तरह की सामाजिक समस्याएं लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं। पर देश में चिकित्सकों की कमी है। फोन पर सलाह मांगने वालों की समस्याओं का कुछ उपचारों द्वारा मैंने समाधान किया है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.