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अब नौसेना में भी महिलाओं को स्थायी कमीशन

Published - Thu 19, Mar 2020

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, स्त्री हो या पुरुष, किसी को भी सांविधानिक हक और समान अवसर से वंचित करने के लिए 101 बहाने उसका जवाब नहीं हो सकता। सरकार तीन माह में लागू करे आदेश

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में सरकार को नौसेना में भी महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को घिसी-पिटी सोच बताते हुए खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि शारीरिक क्षमता को देखते हुए गहरे समुद्र में काम करना महिला अधिकारियों के लिए उपयुक्त नहीं है। अदालत ने कहा कि स्त्री हो या पुरुष, किसी को भी सांविधानिक हक और समान अवसर से वंचित करने के लिए 101 बहाने उसका जवाब नहीं हो सकता। कोर्ट ने तीन माह में इस फैसले को लागू करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि 1998 में केंद्र ने नौसेना के चारों शाखाओं कार्यकारी, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल और शिक्षा में महिला अधिकारियों के प्रवेश पर लगी कानूनी पाबंदी हटा ली थी, लिहाजा महिला अधिकारियों से लैंगिक भेदभाव नहीं किया जा सकता। महिला अधिकारियों को पुरुष के समान कार्य करने का अवसर न देना साफ भेदभाव है। कोर्ट एक माह पहले सेना में भी महिलाओं को स्थायी कमीशन का आदेश दे चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के 26 सितंबर, 2008 के नीतिगत पत्र को निरस्त कर दिया, जिसमें नौसेना के चुनिंदा कैडर और ब्रांच के लिए स्थायी कमीशन देने की बात थी।

2008 से पहले कार्यमुक्त महिला अधिकारियों को 25 लाख मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट ने 2008 से पहले कार्यमुक्त महिला अधिकारियों को पेंशन देने और उन्हें हुए नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया। कहा, महिला अधिकारी पुरुष अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं। वे किसी मायने में पुरुष अधिकारियों से कम नहीं हैं।