न्याय प्रकिया सुस्त होने की वजह से कई पीड़िताएं अपने ऊपर हुए अत्याचार की रिपोर्ट दर्ज नहीं करा पातीं। ऐसे में या तो वो न्याय मिलने से वंचित रह जाती हैं। ऐसी ही महिलाओं के लिए नुपुर ने एक ऐसा एप लॉन्च किया है, जिसकी मदद से यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाएं मोबाइल के जरिए शिकायत कर सकती हैं।
दुष्कर्म पीड़िता घटना होने के बाद कुछ भी बोलने या पुलिस के पास जाने से घबराती हैं। पीड़िताओं की मदद के लिए नुपुर तिवारी ने एक ऐसा एप तैयार किया है, जो महिलाओं को शिकायत दर्ज कराने, कानूनी सहायता उपलब्ध कराने में मदद करेगा। भारत सरकार की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में सिर्फ 90 दिनों में करीब 32 हजार रेप के केस दर्ज हुए हैं। लेकिन न्याय प्रकिया सुस्त होने की वजह से कई पीड़िताएं अपने ऊपर हुए अत्याचार की रिपोर्ट दर्ज नहीं करा पातीं। ऐसे में या तो वो न्याय मिलने से वंचित रह जाती हैं। या अंदर ही अंदर घुटकर जीवन समाप्त कर लेती हैं। शर्म, डर और मदद की आस न मिलने से निराश महिलाओं के लिए नुपूर तिवारी ने एक अनोखा कार्य किया है। नुपुर ने एक ऐसा एप लॉन्च किया है, जिसकी मदद से यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाएं मोबाइल के जरिए शिकायत कर सकती हैं। इस एप की खास बात ये है कि इसमें अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है।
ब्लॉकचेन तकनीक की ली गई मदद
स्मैशबोर्ड एप को बनाने में ब्लॉकचेन तकनीक की मदद ली गई है। इस तकनीक के मदद से एप से जानकारी चुराना संभव नहीं है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी आज की बड़ी जरूरत है। यह डाटाबेस एनक्रिप्टेड है और इसे गोपनीय तरीके से दर्ज किया गया है। इसमें दर्ज जानकारी को हैक करना फिलहाल असंभव है।
ये सुविधाएं मिलेंगी
उत्पीड़न की शिकार पीड़ित महिला एप के जरिए रिपोर्ट कर सकती है। एप के जरिए महिलाएं डायरी बना सकती हैं। अपने ऊपर हुए दुराचार की पूरी डिटेल डाल सकती हैं। खासबात ये है कि पीड़िता कानूनी और चिकित्सीय सहायता भी ले सकती है। अगर महिलाएं अपने साथ हुई घटना मीडिया के साथ साझा करना चाहती हैं, तो वो पत्रकारों की मदद भी ले सकती हैं। एप की मदद से पीड़िता अपने साथ हुए पूरी घटना का ब्यौरा, फोटो, स्क्रीनशॉट, वीडियो, ऑडियो को भी साक्ष्य के तौर पर एप पर अपलोड कर कर सकती हैं। हर क्षेत्र की गतिविधियों को त्वरित और प्रभावी बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
मदद ही मदद मिलेगी
एप के जरिये पीड़िता पत्रकार, वकील, डॉक्टर, मनोचिकित्सक की मदद भी ले सकती हैं। एप में ये सुविधाएं देने के पीछे उद्देश्य है कि घटना के बाद पीड़िता खुद को अकेला महसूस करती हैं और किसी से मन की बात नहीं कह पाती। ऐसे में पीड़िता ऑनलाइन दुनिया की मदद से अपनी तकलीफ साझा कर सकती है।
पेशे से पत्रकार हैं नूपूर
इस एप की संस्थापक नूपुर तिवारी पेश से पत्रकार हैं। नूपुर ने अपराध पत्रकारिता के दौरान पीड़िताओं के दर्द को महसूस किया और तभी ठाना कि वो पीड़िताओं के लिए कुछ विशेष करेंगी और उन्होंने काफी मेहनत के बाद इस एप को बनाया और लांच किया। तिवारी का दावा है कि स्मैशबोर्ड ऐप पीड़ितों को कुछ हद तक छद्म नाम नहीं देगा क्योंकि वे वकील या रिपोर्टर से परामर्श करने की आवश्यकता से पहले भी आराम से घर पर अनुभव साझा कर सकते हैं। प्रौद्योगिकी उन्हें वास्तविक अपराधों के टाइमस्टैम्प को सही ढंग से रिकॉर्ड करने में मदद करेगी ताकि उन्हें कई लोगों को रिपोर्ट करते समय बार-बार नहीं जाना पड़े।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.