स्पीकर के रूप में उस्मानी को पुरुष विरोधियों की धमकियों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने जब एक हुड़दंगी सदस्य के माइक्रोफोन को डिस्कनेक्ट कर दिया, तो वह उन पर चिल्लाने लगा। इस घटना का वीडियो जब ऑनलाइन प्रसारित हुआ, तब उस्मानी के आलोचक भी मानने लगे कि इंटरनेशनल लॉ की यह विशेषज्ञ और पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी की पूर्व प्राध्यापक अपने दम पर आगे बढ़ सकती है और वास्तविक बदलाव ला सकती है।
सारांडा बोगुजेवसी दो दशक पहले उनके बगीचे की दीवार को बींधने वाली गोलियों से बने निशानों को बिना पलक झपके एकटक देख रही थीं। इस गोलीबारी में उनके पूरे परिवार की मौत हो गई थी और उनके शरीर में भी 16 गोलियां लगी थीं। वह कहती हैं कि सर्ब अर्धसैनिक बल की स्कॉरपियंस यूनिट द्वारा किए गए उस कत्लेआम के दृश्य उनके मन में धुंधले पड़ गए हैं। लेकिन, जैसा कि वह कहती हैं, 'मैं अब भी खून से सनी मिट्टी की गंध महसूस कर सकती हूं।'
तमाम बाधाओं को पार करते हुए बोगुजेवसी बच गईं। पड़ोसी के बगीचे में उन्हें यह सोचकर फेंक दिया गया था कि वह मर गई हैं। उसके बाद उनकी मां, दादी, दो भाइयों और चार अन्य रिश्तेदारों के हत्यारों के खिलाफ गवाही देने की उनकी दृढ़ता ने उन्हें कोसोवो में असाधारण साहस की प्रतीक में बदल दिया, जो जगह आज भी 1990 के दशक के युद्ध के सदमे से सिहर जाती है।
पैंतीस साल की बोगुजेवसी सिर्फ एक प्रतीक भर नहीं हैं। वह महिलाओं की उस अविश्वसनीय लहर का हिस्सा हैं, जो कोसोवो के संसदीय चुनाव में विजयी हुई हैं। 2008 में आजाद हुआ कोसोवो यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक है।
14 फरवरी को हुए आम चुनाव के अंतिम नतीजों की घोषणा जब 4 मार्च को राजधानी प्रिस्तीना में हुई, तो पता चला कि महिलाओं ने संसद की चालीस फीसदी सीटें जीत लीं, जैसा कि पहले कभी नहीं हुआ था।
यह उभार युद्ध के बाद कोसोवो लिबरेशन आर्मी (केएलए) के वर्चस्व में बनी व्यवस्था में बढ़ते भ्रष्टाचार और धमकियों के खिलाफ बढ़ते असंतोष को दिखाता है। केएलए सर्बिया में लड़ने वाला अब विघटित छापामार संगठन है, जिसने कोसोवो के आजाद होने का मार्ग प्रशस्त किया था। इन निर्वाचित महिलाओं ने वोटरों को राजी किया कि वे सर्बिया के खिलाफ खड़ी हो सकती हैं, जिसने कोसोवो को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने से इनकार किया है, और वे भ्रष्टाचार तथा आपराधिक तंत्र से भी लड़ सकती हैं, जिसने सर्बिया शासन के अंत के बाद बनी उम्मीदों को जमींदोज कर दिया।
युद्ध के दौरान केएलए की सहायक के रूप में काम कर चुकी कार्यकर्ता नजली बाला कहती हैं कि बोगुजेवसी की दृढ़ता और उनके संकल्प ने उन्हें कोसोवो की पीड़ा और उम्मीद का प्रतीक बना दिया है।
बोगुजेवसी ने नए सदन में अपनी जगह बना ली है, जो कि कोसोवो के नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगा और वह चाहती हैं कि देश के इस शीर्ष पद पर एक अन्य महिला और युद्ध के समय की उनकी साथी अड़तीस साल की वजोसा उस्मानी, संभालें। उस्मानी, नवंबर में तत्कालीन पुरुष राष्ट्रपति को युद्ध अपराध में गिरफ्तार किए जाने के बाद से कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर काम कर रही हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उन्हें पूर्णकालिक राष्ट्रपति चुन लिया जाएगा। उस्मानी सर्वाधिक मतों से विजयी हुई हैं और यह जीत कोसोवो में पिछले दो दशक में जब से चुनाव हो रहे हैं, सबसे बड़ी है।
युवाओं और महिलाओं के बीच वह काफी लोकप्रिय हैं और एक्जिट पोल के मुताबिक इस वर्ग का साठ फीसदी से अधिक वोट उम्मीदवारों के उस समूह को मिला, जिसका नेतृत्व वह और प्रगतिशील उद्देश्यों के लिए लंबे समय से लड़ रहे अलबीन कुर्ती कर रहे हैं।
उस्मानी जब अपनी किशोरावस्था में उत्तरी कोसोवो के अपने घर से 1999 में नस्लीय अर्बेनियाई लड़ाकों के नरसंहार से बचने के लिए अपने परिजनों के साथ भागी थीं, तब उनके परिवार को सड़क पर सर्बियाई सैनिकों ने रोक लिया था और उनके पिता की हत्या करने की धमकी दी थी। उन्होंने जब इसका विरोध किया, तो उस्मानी के मुंह में बंदूक की नली घुसेड़ दी गई थी। वह कहती हैं कि ऐसे सदमे से कोसोवो का हर परिवार गुजरा है। इससे देश में युद्ध के बाद विकास में आई बाधा से लोगों में उभरी नाराजगी और हताशा को समझा जा सकता है।
एक साक्षात्कार में उस्मानी ने कहा कि चुनाव में उनके प्रदर्शन ने दिखाया कि कोसोवो न केवल एक महिला राष्ट्रपति के लिए तैयार है, बल्कि उसने एक को चुन भी लिया है, वह भी सदियों से मौजूद स्त्री विरोधी तथा पितृसत्तात्मक मानसिकता के बावजूद।
उस्मानी ने नवंबर में नेतृत्व की भूमिका के लिए तब जोर लगाया, जब कोसोवो के राष्ट्रपति और पूर्व छापामार कमांडर हाशिम थासी को युद्ध अपराध में नीदरलैंड स्थित प्राधिकरण में मुकदमे का सामना करने के लिए गिरफ्तार किया गया। तब वह संसद की स्पीकर थीं और इस नाते उन्होंने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी संभाली। स्पीकर के रूप में उस्मानी को नियमित तौर पर पुरुष विरोधियों के अपमान और धमकियों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने जब पिछले साल एक हुड़दंगी सदस्य के माइक्रोफोन को डिस्कनेक्ट कर दिया, तो वह उन पर चिल्लाने लगा। इस घटना का वीडियो जब ऑनलाइन प्रसारित हुआ, तब उस्मानी के आलोचक भी मानने लगे कि इंटरनेशनल लॉ की यह विशेषज्ञ और पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी की पूर्व प्राध्यापक अपने दम पर आगे बढ़ सकती है और वास्तविक बदलाव ला सकती है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.