आंचल के पिता का कहना है कि फादर्स डे पर बेटी ने जो नायाब तोहफा दिया उसे वह जीवन भर भूल नहीं पाएंगे।
यदि आपने किसी सपने को पूरा करने का दृढसंकल्प कर लिया है तो उसे पूरा होने से कोई भी बाधा रोक नहीं सकती। इसे साबित कर दिखाया मध्य प्रदेश की आंचल गंगवाल ने। एयरफोर्स में नौकरी करना आंचल का सपना था। इस सपने को पूरा करने के लिए किसी भी इम्तिहान से गुजरने को तैयार थीं। आज उनका वह सपना पूरा भी हो गया। 26 साल की आंचल वायुसेना में लड़ाकू विमान की पायलट बन गई हैं। हैदराबाद में आयोजित दीक्षा समारोह में आंचल को सम्मानित किया गया। आंचल समेत अन्य प्रशिक्षणार्थियों को एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने देश सेवा के लिए समर्पित किया।
एयरफोर्स में नौकरी करना आंचल का सपना था
आज के समय में जहां लोग एक नौकरी के लिए सालों साल तैयारी करते रहते हैं, वहीं आंचल ने एयरफोर्स में नौकरी करने के लिए दो नौकरी छोड़ दीं। पढ़ने में शुरू से ही होशियार और मेहनती थीं। इसी का नतीजा रहा कि उन्हें पहले एमपी में पुलिस सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली, लेकिन वहां मन नहीं लगा और नौकरी छोड़ दी। फिर उनका चयन लेबर इंस्पेक्टर के पद पर हुआ। पर अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने यह नौकरी भी छोड़ दी। अंतत: उन्होंने एयरफोर्स में नौकरी पा ही ली। उनकी इस सफलता से उनका परिवार बेहद खुश है।
उत्तराखंड त्रासदी से मिली प्रेरणा
उत्तराखंड त्रासदी तो आप को याद ही होगी। विनाशकारी बाढ़ ने जो तबाही मचाई थी उसे भूलना नामुमकिन है। उस समय भारतीय वायुसेना ने उस बाढ़ के बीच फंसे लोगों को बचाया था। जब यह घटना हुई थी उस वक्त आंचल 12वीं कक्षा की छात्रा थीं। वह टीव पर खबरों में वायुसेना के कारनामे सुनती थी। उसी समय उन्होंने फैसला किया कि वह भी एयरफोर्स में ही नौकरी करेंगी। ताकि संकट के समय वह लोगों की मदद कर सकें।
चाय बेचते हैं पिता
आंचल कोई बहुत संपन्न परिवार से नहीं हैं। उनके पिता सुरेश गंगवाल नीमच में एक छोटी सी चाय की दुकान चालते हैं। हालांकि हैदराबाद में हुए इस दीक्षांत समारोह में उन्हें भी शामिल होना था। लेकिन वह नहीं जा सके। उन्होंने घर पर ही ऑनलाइन इस पूरे कार्यक्रम को देखा। सुरेश के तीन बच्चे हैं सबको उन्होंने चाय बेचकर ही इस काबिल बनाया है कि आज उन पर गर्व है। उनका बड़ा बेटा इंजीनियर है। दूसरे नंबर की बेटी आंचल फ्लाइंग अफसर बन गई है और सबसे छोटी बेटी अभी बी-कॉम की पढ़ाई कर रही है। उनके पिता बताते हैं कि बच्चों को पढ़ाने में कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। पर उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। आज उनकी जीवनभर की मेहनत सफल हो गई है। उनका कहना है फादर्स डे पर बेटी ने जो नायाब तोहफा दिया उसे वह जीवन भर भूल नहीं पाएंगे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.