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60 साल की उम्र में दूसरे बुजुर्गों का सहारा बनीं विनाया पई

Published - Wed 19, Feb 2020

केरल के त्रिशूर जिले में रहने वालीं 60 वर्षीय विनाया पई बुजुर्ग मरीजों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं। वह बुजुर्ग मरीजों की देखभाल उनके घरवालों से भी बेहतर ढंग से करती हैं। विनाया पई का ये सब करने के पीछे का मकसद सिर्फ इतना है कि वह बुजुर्गों को तिरस्कार से बचा सकें और समाज में बुजुर्गों के प्रति सम्मान का भाव जगा सकें।

Vinaya pai

नई दिल्ली। जिस उम्र में लोग खुद सहारा तलाशते हैं, उस उम्र में यदि कोई बहुत सारे बीमार, बेसहारा, बुजुर्ग लोगों का सहारा बन जाए तो उसकी हिम्मत और हौसले को सलाम करना तो बनता है। कुछ ऐसा ही कर रही हैं केरल के त्रिशूर जिले में रहने वालीं 60 वर्षीय विनाया पई। वह बुजुर्ग मरीजों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं। वह बुजुर्ग मरीजों की देखभाल उनके घरवालों से भी काफी बेहतर ढंग से करती हैं। विनाया पई का ये सब करने के पीछे का मकसद सिर्फ इतना है कि वह बुजुर्गों को तिरस्कार से बचा सकें और समाज में बुजुर्गों के प्रति सम्मान का भाव जगा सकें। विनाया पई मरीजों की देखभाल करने के साथ ही उनकी डाइट चार्ट के हिसाब से पौष्टिक खाना भी बनाती हैं। वह इस बात का खास ख्याल रखती हैं कि खाने में कुछ भी ऐसा न हो जो बीमारों की सेहत के हिसाब से ठीक न हो। हरी सब्जियां और मसाले की मात्रा स्वास्थ्य के लिहाज से ही हो। इसके लिए वह डॉक्टरों की सलाह भी लेती हैं। ये सब करने के लिए विनाया पई रोजाना रात 2 बजे ही सोकर उठ जाती हैं। यह काम वह कई सालों से कर रही हैं। वह हर रोज 50 से ज्यादा बीमार और बुजुर्ग लोगों के लिए खाना बनाती हैं।

जितनी आती है लागत, सिर्फ उतना ही लेती हैं रुपया
विनाया खुद को बुजुर्ग नहीं मानती हैं। उम्र की इस पड़ाव वह इतने लोगों का खाना बनाने के लिए किसी की मदद भी नहीं लेती हैं। वह हर दिन 7 बजे नाश्ता तैयार करती हैं। कुछ लोग उनके घर से खाना लेकर जाते हैं और कुछ लोगों के लिए विनाया होम डिलीवरी की सुविधा भी रखती हैं। वह जिन लोगों को खाना और नाश्ता मुहैया कराती हैं, उनसे कोई एक्ट्रा चार्ज नहीं लेतीं। वह सिर्फ उतनी ही पैसे लेती हैं, जितना खाना बनाने में खर्च होता है। वह इसे अन्य लोगों की तरह व्यापार न समझकर सेवाभाव से करती हैं।

विनाया पई को बचपन से था खाना बनाने का शौक, छोड़ दी बैंक की नौकरी
केरला के कोडुंगल्लर में विनाया के परिवार का एक होटल था। बचपन में वह अक्सर होटल की किचन में जाकर शेफ से खाना बनाना सीखा करती थीं। उनका हमेशा से सपना था कि एक फूड चेन की शुरुआत करें। उन्होंने 25 साल की उम्र में बैंक की नौकरी के साथ-साथ पापड़ और चिप्स का बिजनेस शुरू किया था। करेले, कटहल, केले और गाजर के चिप्स बनाकर अपने आस-पास के गांव में बेचा करती थीं। विनाया को सरकारी योजना जन शिक्षण संस्थान का हिस्सा बनने का मौका मिला था, जिसके लिए उन्होंने अपनी बैंक की नौकरी को छोड़ दिया। इस योजना के मुताबिक, आर्थिक रूप से कमजोर और कम पढ़े- लिखे लोगों को ट्रेनिंग दी जाती थी, जिससे आर्थिक स्तर पर मजबूत बन सकें। इस प्रोग्राम में विनाया ने लगभग 10,000 लोगों को पापड़, चिप्स और जैम बनाने की ट्रेनिंग दी थी।

मानती हैं इसे एक छोटी सेवा
विनाया पई का मानना है कि उनका शरीर और दिमाग सही काम कर रहा है। ऐसे में उन्हें अपने ज्ञान का इस्तेमाल कर लोगों की सेवा करनी चाहिए। 2 बजे रात को उठकर खाना बनाना उनके लिए इस बड़ी सेवा के लिए एक छोटी सी बात है। विनाया ने मरीजों और बुजुर्गों को उनकी जरूरत के अनुसार खाना पहुंचाने के लिए एक डायरी बनाई हुई है। रोज खाना बनाना शुरू करने से पहले वो इस डायरी को पढ़ती हैं।