पूरबी कुंवर ने सोमवार को डिप्टी कमिश्नर का पद संभाला, वहीं, एसपी अमनजीत कौर पिछले डेढ़ साल से जिला पुलिस का नेतृत्व कर रही हैं।
नलबाड़ी। असम के नलबाड़ी जिले में नगर प्रशासन, पुलिस और न्यायपालिका समेत सभी महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर महिलाओं ने काबिज होकर इतिहास रच दिया है। पूरबी कुंवर सोमवार को जिले में डिप्टी कमिश्नर का पद संभाला। वहीं, एसपी अमनजीत कौर पिछले डेढ़ साल से जिला पुलिस का नेतृत्व कर रही हैं। इसके अलावा जिले की स्कूल निरीक्षक, खाद्य, सामाजिक कल्याण और सूचना अधिकारी समेत दो दर्जन पद भी महिलाएं ही संभाल रही हैं।
नलबाड़ी गुवाहाटी से 60 किलोमीटर दूर ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, नलबाड़ी की जनसंख्या 7,71,639 है, जिसमें से 3,96,006 पुरुष हैं, जबकि 3,75,633 महिलाएं हैं। कृष्णा बरुआ एक और महत्वपूर्ण अधिकारी हैं, जो जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला विकास कमिश्नर का कार्यभार संभाल रही हैं। नलबाड़ी की पांच जज महिलाएं हैं। इनमें डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज शर्मिला भुयान, असिस्टेंट सेशन जज हेमाक्षी ठाकुरिया बुरागोहिन, एडिशनल चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट सबरीना भट्टाचार्य और ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट (फर्स्ट क्लास) स्मृति रेखा भुयान और मुंसिफ रुबीना यास्मीन हैं। 2009 बैच की आईपीएस अधिकारी अमनजीत कौर कहती हैं, जिले में अहम पदों पर महिलाओं का होना असम सरकार की सकारात्मक कोशिशों का नतीजा है। इससे दूसरी महिलाओं को भी अपनी निजी समस्याएं उन्हें बताने का बल मिलता है। कौर के अधीन डिप्टी एसपी जुपी बोरडोलोई और कामरकुची पुलिस स्टेशन की इंचार्ज भी महिलाएं हैं।
सात में चार रेवेन्यू अधिकारी महिलाएं
जिले के सात सर्किल में से चार की रेवेन्यू अधिकारी भी महिलाएं हैं। नलबाड़ी सदर में बनश्री डेका, घाघरापाड़ा में नंदिता हजारिका, बानेकुची में शिल्पिका कलिता और बोरभाग में रितुपर्णा भद्रा राजस्व अधिकारी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.