100 मिलियन स्माइल के तहत पुलिस की पाठशाला का आयोजन किया गया। जिसमें पुलिस कर्मचारियों ने छात्राओं को सजगता के साथ सेल्फ डिफेंस के टिप्स दिए।
मऊ। नगर क्षेत्र के सोनीधापा बालिका इंटर कालेज के सभागार में शनिवार को अपराजिता 100 मिलियन स्माइल के तहत पुलिस की पाठशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान पुलिस कर्मचारियों ने छात्राओं को सजगता के साथ सेल्फ डिफेंस के टिप्स दिए। कहा कि जागरूकता महिलाओं के बचाव का सबसे बड़ा हथियार है। कार्यक्रम में चार सौ से अधिक छात्राओं ने भाग लिया।
विद्यालय की प्रधानाचार्या मंजू राय शर्मा ने अमर उजाला की पहल को सराहा। कहा कि इस प्रयास से निश्चित तौर पर छात्राओं में जागरूकता बढ़ेगी। महिला थाने की प्रभारी अनीता सिंह ने बचाव के साथ छात्राओं को एप और सुरक्षा संबंधी सरकारी सुविधाओं के बारे में बताया। कहा कि पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर्य है, लेकिन आपको सजग रहना होगा। साइबर सेल के प्रभारी अजीत यादव ने कहा कि आज के आधुनिक युग में मोबाइल फोन लोगों की जरूरत बन गई है। घर घर में मोबाइल है, इसका प्रयोग सभी करते है, लेकिन कभी कभी यह खतरनाक साबित होता है। उन्होंने बताया कि 18 वर्ष की उम्र होने से पूर्व फेसबुक चलाना अपराध है। कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ अराजकतत्व अपनी बातों में मासूूमों को फंसाकर उनका शोषण करने लगते है। पुलिस की भाषा में इसे फिशिंग कहते है। मानसिंह ने साइबर अपराधों के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि किसी को एटीएम कार्ड का ओटीपी और पासवर्ड न दें। एटीएम का प्रयोग करने के लिए अकेले अंदर प्रवेश करें। महिला थाने की कांस्टेबल सरोज यादव ने छात्राओं को सेल्फ डिफेंस के बारे में बताया। यातायात निरीक्षक श्री प्रकाश शुक्ला और कांस्टेबल वीरेंद्र पाठक ने सभी को यातायात नियमों के साथ नए दंड प्रावधानों से अवगत कराया। अंत में छात्राओं को यातायात नियमों का पालन कराने के साथ महिलाओं का सम्मान करने की शपथ दिलाई गई।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.