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सूझबूझ से करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल

Published - Sun 29, Sep 2019

सोशल मीडिया एक नई समस्या के रूप में उभरा है। जो लोग बिना सोचे समझे इसका इस्तेमाल करते हैं, वे साइबर अपराध के शिकार हो रहे हैं।

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जौनपुर। पुलिस अधीक्षक रविशंकर छवि ने कहा कि छात्रों को व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि सोशल मीडिया का इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए। बिना सोचे समझे इसका इस्तेमाल करने पर मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। वह मंगलवार को बक्शा थाना क्षेत्र के कुल्हनामऊ में स्थित इंडियन एजुकेशनल ट्रस्ट स्कूल आफ नर्सिंग में अमर उजाला अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स की ओर से आयोजित पुलिस की पाठशाला में छात्र छात्राओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया एक नई समस्या के रूप में उभरा है। जो लोग बिना सोचे समझे इसका इस्तेमाल करते हैं, वे साइबर अपराध के शिकार हो रहे हैं। किसी पोस्ट को साझा करने और उसे लाइक करने से पहले उसके बारे में खूब अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है। जानबूझकर की गई कोई भी गलती अपराध की श्रेणी में आती है। उन्होंने कहा कि लिंग और जाति के आधार पर भेदभाव अपराध की श्रेणी में आता है। लैंगिक विषमता को समाप्त करने के लिए प्रयास चल रहा है। उन्होंने ने कहा कि किसी भी अपराध को छिपाने का मतलब है कि अपराध को और भी बढ़ावा देना। इस नाते समाज के हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि कोई भी अपराध होने पर पुलिस को जरूर बताए। खास तौर से महिलाओं के साथ होने वाली अपराधिक घटनाओं को कई बार लोकलाज के भय से छिपाने की कोशिश की जाती है। ऐसे अपराधों को छिपाने के बजाए महिलाओं को उससे मुकाबले के लिए तैयार होना चाहिए, तभी अपराध पर अंकुश लग सकेगा। समाज शास्त्री मनोज वत्स ने भी छात्राओं को संबोधित किया। नर्सिंग कालेज के डायरेक्टर एवं आईएमए के जिला अध्यक्ष डा. एनके सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

छात्रों के सवाल, एसपी के जवाब
जौनपुर।
पुलिस की पाठशाला में विद्यार्थियों ने बेबाक तरीके से पुलिस अधिकारियों से सवाल किए। अफसरों ने उनका जवाब भी दिया। सबसे ज्यादा सवाल यातायात व्यवस्था, सड़क सुरक्षा और मोटर व्हीकल एक्ट से जुड़े थे।
अनामिका ने पूछा कि सड़कें ही ठीक नहीं हैं तो यातायात व्यवस्था कैसे सुधरेगी? एसपी ने कहा कि सड़कों की बदहाली से यातायात व्यवस्था में दिक्कत आती है। सड़कों का निर्माण दूसरे विभागों की जिम्मेदारी है। पुलिस विभागों को सूचित करके सड़कों की मरम्मत के लिए कहती है। वाहनों की रफ्तार नियंत्रित रखने के लिए कई चौराहों पर सीसी कैमरे लगाए गए हैं।  यातायात नियमों का उलंघन करने वालों का इसके माध्मय से ई-चालान किया जा रहा है। अनामिका यादव ने पूछा कि मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव के बाद भारी जुर्माना वसूल किया जा रहा है लेकिन दुष्कर्म के मामलों में पुलिस ऐसी तत्परता क्यों नहीं दिखाती? एसपी ने कहा कि किसी भी अपराध के मामले में विधि सम्मत कार्रवाई की जाती है। सजा देने का काम अदालतों का है। नेहा सिंह ने कहा कि रोडवेज की बसें यातायात नियमों को तोड़ती हैं लेकिन कार्रवाई नहीं होती। जवाब में एसपी ने कहा कि सबके लिए कानून एक जैसा है, चाहे वह रोडवेज हो या प्राइवेट वाहन चालक।
अंशुमान गुप्ता ने पूछा कि क्या वाहनों का चालान सिपाही भी कर सकते हैं? एसपी ने कहा कि सब इंस्पेक्टर या इनसे ऊपर का कोई भी पुलिस अधिकारी चालान कर सकता है। सूरज प्रजापति ने पूछा कि छुट्टा पशु यातायात के लिए परेशानी सबब बने हैं। इस मामले में पुलिस कुछ कर सकती है। एसपी ने जवाब दिया कि सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को चोट पहुंचाना अपराध की श्रेणी में आता है। ज्योति सोनी ने सवाल किया कि महिलाओं के साथ कोई भी अपराध होने की दशा में सूचना देने पर 1090 कितनी कारगर साबित होती है। एसपी ने कहा कि त्वरित कार्रवाई के लिए 100 नंबर अधिक कारगर है। 1090 पर महिला रिसीव करती है, जिससे बेहिचक अपनी बात कही जा सकती है।