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नारी सशक्तिकरण तभी होगा, जब समाज अपना नजरिया बदले

Published - Fri 30, Aug 2019

अमर उजाला 100 मिलियन स्माइल्स के तहत आरकेजी कॉलेज में जोश भरा

Rajkumar Girls Degree College

गढ़मुक्तेश्वर। अपराजिता कार्यक्रम के तहत राजकुमार गर्लस डिग्री कॉलेज में नारी सशक्तीकरण विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने नारी सशक्तीकरण का सबसे प्रमुख माध्यम शिक्षा बताया। वक्ताओं ने कॉलेज की शिक्षिकाओं और छात्राओं को जागरूक किया।

गढ़ में रेलवे रोड़ पर स्थित राजकुमार गर्लस डिग्री कॉलेज में बुधवार को हुए अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाली प्राचार्या कुसुम त्यागी ने छात्राओं को महिलाओं के प्रति सशक्तिकरण का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि जो किसी से न डरे वह अपराजिता है, महिला को अगर आगे बढ़ने है तो शिक्षा ग्रहण करना बेहद जरूरी है। इसी के साथ महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला पुरुषों को पछाड़ने का काम कर सकती है। भारत देश को आगे बढ़ने में महिलाओं का भी उतना ही सहयोग है, जितना पुरुषों का होता है। उन्होंने बताया कि जिस जगह पर महिलाओं का सम्मान नही होता, वहां कभी भी देवताओं का भी निवास नही होता।

  • कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसडीएम विजयवर्धन तोमर ने कहा कि कभी भी किसी समस्या को लेकर तनाव में नही आना चाहिए, अगर भविष्य में आगे बढ़ना है तो कठिनाइयों को डटकर सामना करना होगा। जिस घर में महिलाओं का सम्मान होगा, उसी घर में खुशहाली रहेगी।
  • गढ़ इंस्पेक्टर राजपाल सिंह तोमर ने कहा कि कभी कोई समस्या सामने आती है तो सरकार द्वारा चलाए जा रहे महिला हेल्पलाइन, 1090, 181 और यूपी 100 पर फोन कर अवगत कराएं। इससे महिलाओं के साथ छेड़खानी और अभद्रता करने वालों से सख्ती से निपटा जा सके।
  • प्राचार्य कुसुम त्यागी ने कहा कि कभी भी अभिभावक बेटे और बेटी में अंतर न समझें, क्योंकि बेटियां भी परिश्रम कर हर क्षेत्र में बेटों की बराबरी कर रही हैं। परिजन आपस में भी एक दूसरे को सम्मान देकर घर में बातें करें।
  • शिक्षिका सीमा कुमारी ने कहा कि आज के दौर में महिलाओं को आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी है। क्योंकि जो किसी के भरोसे नहीं होता, वह भविष्य में कुछ अच्छा कर सकता है।
  • शिक्षिका शिल्पा त्यागी ने कहा कि जितने अधिकार घर में बेटे को मिलते है, अगर वही अधिकार बेटियों को भी मिलने लगें तो वह समाज के लिए एक मिसाल बन सकती है। इसलिए बेटी और बेटे के बीच अंतर करने वालों को अपनी सोच बदलनी चाहिए।
  • शिक्षिका निधि वर्मा ने कहा कि समाज में नारी के प्रति गलत सोच रखने वाले लोगों को अपनी सोच बदलनी जरूरी है, तभी नारी का सम्मान हो पाएगा। उन्होंने कहा कि लड़कियों को उच्च शिक्षित करने से समाज का भी भला होगा।
  • शिक्षिका कंचन शर्मा ने कहा कि हर महिला अपना सम्मान चाहती है। इसलिए जितना सम्मान पुरुष को मिलता है, उतना ही सम्मान महिलाओं को भी मिलना चाहिए। यही समानता देश को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी।
  • छात्रा लवी चौहान ने कहा कि महिलाओं की अधिकांश जगहों पर सम्मान नही दिया जाता। अधिकांश घरों में भी बेटियों को दबाया जाता है। समाज में महिलाओं को उसी नजरिए से देखना चाहिए, जिससे उनके सम्मान को ठेस न पहुंचे।
  • छात्रा छाया ने कहा कि बेटियां कभी भी अपने आप को कमजोर न समझें, पढ़ाई के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में भाग लेकर समाज में अपना वर्चस्व बनाने का प्रयास करें।
  • छात्रा प्रियंका ने कहा कि अब बेटियों को न समझना बेचारी, नारी में है शक्ति सारी। इसी सोच से जुड़कर चलने वाली बेटी अपने साथ-साथ देश का भविष्य भी सवारेंगी।