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खेती-बाड़ी ​कर बेटी को बनाया बॉक्सर, अर्जुन अवॉर्ड जीतकर नाम किया रोशन

Published - Fri 30, Aug 2019

बॉक्सिंग रिंग में उतरने के बाद जिस तरह उन्होंने दिन-दूनी रात चौगनी मेहत की और अपने विरोधियों को रिंग में धूल चटाई। उसी का नतीजा है कि आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया।

Sonia Lather with kovind

सोनिया लाठर जब पहली बार बॉक्सिंग रिंग में उतरी होंगी तो शायद ही सोचा होगा कि एक दिन उन्हें देश के राष्ट्रपति सम्मानित करेंगे। लेकिन बॉक्सिंग रिंग में उतरने के बाद जिस तरह उन्होंने दिन-दूनी रात चौगनी मेहत की और अपने विरोधियों को रिंग में धूल चटाई। उसी का नतीजा है कि आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया। खेती-बाड़ी कर अपनी बेटी को पढ़ाने लिखाने वाले माता-पिता के लिए भी यह बेहद गर्व का क्षण है। वह उन माता-पिता के लिए मिसाल है जो अपनी बेटियों को पराया धन समझते हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीता स्वर्ण
सोनिया लाठर मूलरूप से जुलाना गांव की रहने वाली हैं और उनका परिवार फिलहाल हिसार सर्कुलर कॉलोनी गंगवा में रहता है। सोनिया ने जुलाना से ही 12वीं तक पढ़ाई की है। उनका झुकाव शुरू से खेल कूद की ओर ही रहा। जब वह सातवीं में पढ़ रही थी तभी से उन्होंने कबड्डी और बॉक्सिंग शुरू कर दी थी। उनके घर वालों ने कभी उनकी खेल कूद की रुचि का विरोध भी नहीं किया और हमेशा साथ खड़े रहे। जिसने भी सोनिया के हौसलों को और पंख लगा दिए। 18 वर्ष की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते उन्होंने बॉक्सिंग को चुल लिया और इसके गुर व बारीकियां सीखने के लिए उन्होंने अनूप से कोचिंग लेना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। लगातार कामयाबियों के बीच उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत कर अपना और देश का नाम रोशन किया।

ओलंपिक में स्वर्ण की चल रही तैयारी
फिलहाल वह अगले ओलंपिक के 58 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्ड मेडल जीतने के लिए प्रैक्टिस कर रही हैं। सोनिया रेलवे में कार्यरत है। उन्होंने साल 2018 में सीनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड (RSPB) का प्रतिनिधित्व 54-57 भारवर्ग में किया था। इस प्रतियोगिता के फाइनल में हरियाणा की शशि चोपड़ा को 5-0 से हराकर सोनिया चैंपियन बनीं थीं। 54 किलोग्राम भार वर्ग में सोनिया लाठर ने वर्ष 2012 में एशियन महिला मुक्केबाजी में देश के लिए सिल्वर मेडल जीता था।

खेती-बाड़ी करते थे माता-पिता
सोनिया के परिवार में 24 सदस्य हैं। वह अकेली लड़की है जिसने खेलों में अपने परिवार का ही नहीं जिले, प्रदेश तथा देश का नाम रोशन किया है। खेती-बाड़ी करने वाले जुलाना निवासी प्रेम सिंह के घर फरवरी 1992 में सोनिया लाठर का जन्म हुआ। सोनिया की मां निर्मला गृहणी है। बड़ी बहन रीना की शादी हो चुकी है। छोटा भाई अमित बीए अंतिम वर्ष और सबसे छोटा जतिन बीए द्वितीय वर्ष का छात्र है। पिछले ढाई साल से सोनिया का परिवार हिसार सर्कुलर कालोनी गंगवा में रह रहा है। मां निर्मला बताती हैं कि सोनिया को लाल मिर्च की चटनी के साथ दूध और देसी घी बहुत पसंद है। पैतृक गांव जुलाना में ताऊ जगत सिंह, ताई प्रेमा देवी, चाचा देवी सिंह, चाची रत्नी, चाचा जयचंद और चाची बबली का परिवार रहता है। ताऊ के बेटे विजेंद्र ने बताया कि परिवार ने कभी भी लड़का-लड़की में भेदभाव नहीं किया। सोनिया पर सबको गर्व है।