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बेटियों के लिए योजनाएं

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बचें बेटियां, पढ़ें बेटियां... आगे बढ़ें सभी बेटियां

Published - Sat 04, May 2019

बेटे की चाहत में लोग बेटियों को गर्भ में ही मार देते हैं या बेटी के पैदा होने पर उसकी हत्या कर देते हैं। पाल पोस भी लें, तो उनको शिक्षा और सुविधाओं से दूर रखते हैं। बेटियों को बोझ समझने का सबसे बड़ा कारण उनकी शादी और शिक्षा की चिंता होती है। 1991 की जनगणना के आकंड़ों में 0-6 वर्ष तक के बच्चों का लिंगानुपात जहां 945 था, वह 2001 में घटकर 927 और 2011 में 918 पर आ गया। बेटियों को बचाने, कन्याभ्रूण हत्या को रोकने, गिरते लिंगानुपात को बराबरी पर लाने और बालिका शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने एक योजना शुरू की है, जिसका नाम है ' बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।' जिसमें बेटियों को पढ़ाई से लेकर शादी तक के लिए आर्थिक सहायता मिलेगी और लोग बेटियों को बोझ न समझकर उन्हें दुनिया में कदम रखने देंगे।

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