कार्यक्रम में सेरा-खड़कोट स्थित सरस्वती बालिका विद्या मंदिर में आयोजित सातूं-आठूं कार्यक्रम में डॉ.अवस्थी ने कहा कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में समय-समय पर तमाम पर्व मनाए जाते हैं।
पिथौरागढ़। भारतीय संस्कृति की पूरी दुनियां में अलग पहचान है। इस संस्कृति के संरक्षण और प्रचार प्रसार में महिलाओं ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह बात अमर उजाला के 100-मिलियन स्माइल्स कार्यक्रम में शिक्षक एवं साहित्यकार डा.पीतांबर अवस्थी ने कही।
सेरा-खड़कोट स्थित सरस्वती बालिका विद्या मंदिर में आयोजित सातूं-आठूं कार्यक्रम में डॉ.अवस्थी ने कहा कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में समय-समय पर तमाम पर्व मनाए जाते हैं। इन्हीं में कुमांउ का प्रमुख पर्व सातूं-आठूं पर्व भी शामिल है। उन्होंने कहा कि अधिकांश पर्व कृषि से जुड़े हैं। यह पर्व आज भी हमारी पुरातन संस्कृति, खेती-किसानी, खान-पान, रहन-सहन को दर्शाते हैं। इन पर्वों को सहेजने में महिलाओं की प्रमुख भूमिका रही है। विद्यालय की प्रधानाचार्य रेखा जोशी ने कहा कि हमारी संस्कृति और परंपराएं जीवित रहें इसके लिए नई पीढ़ी को संस्कृति का महत्व बताने और इसके हस्तांतरित करने की आवश्यकता है। शिक्षिका और सामाजिक कार्यकर्ता मंजुला अवस्थी ने बेटियों के महत्व से अवगत कराया। इस अवसर पर एक सौ से अधिक महिलाओं ने महिला हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने को लेकर शपथ ली और संकल्प पत्र भरे।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित-
शिक्षिका भगवती अवस्थी, सुशीला कार्की, हेमलता अवस्थी, भावना जोशी, मीना द्विवेदी, अंजना, भारती जोशी, ज्योति बोहरा, मेघा उप्रेती, गायत्री देवी,
सरस्वती, मंजू, लीलादेवी, प्रशांत साह, अखिलेश सौन।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.