पुलिस की पाठशाला में छात्र-छात्राओं को दी मादक पदार्थों के दुष्परिणामों की जानकारी
पिथौरागढ़। अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से डान बास्को स्कूल पिथौरागढ़ में पुलिस की पाठशाला आयोजित की गई। इसमें छात्र-छात्राओं को मादक पदार्थों के दुष्परिणाम, यातायात नियम, साइबर क्राइम के बारे में बताया गया। छात्राओं को हिंसा और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाने को लेकर जागरूक किया गया। इस अवसर पर एक सौ से अधिक छात्र-छात्राओं और शिक्षक-शिक्षिकाओं ने संकल्प पत्र भरे।
पुलिस की पाठशाला को संबोधित करते हुए पुलिस क्षेत्राधिकारी आरएस रौतेला ने कहा कि आज युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आ रही है। युवाओं का भविष्य बरबाद हो रहा है। इसलिए युवाओं को स्वयं जागरूक रहकर दूसरों को भी इस बुराई के चंगुल में फंसने से बचाना होगा। उन्होंने एटीएम बंद होने या ईनाम का लालच देकर खातों से रुपये निकालने की घटनाओं का जिक्र करते हुए इस तरह के फोन कॉल आने पर एटीएम नंबर या ओटीपी नंबर न बताने को कहा। उन्होंने बिना लाइसेंस के दोपहिया वाहन न चलाने, यातायात नियमों का पालन करने और सुरक्षा के लिए हेलमेट का प्रयोग करने को कहा। उन्होंने कहा कि हेलमेट दोपहिया वाहन सवारों की सुरक्षा करता है। इसलिए इसे बोझ नहीं समझना चाहिए। महिला पुलिस सेल की प्रभारी एसआई श्वेता दिगारी ने बालिकाओं से छेड़छाड़ और हिंसा का खुलकर विरोध करने को कहा। उन्होंने कहा कि कई बालिकाएं अपने साथ होने वाली घटना को घर या स्कूल में शिक्षिकाओं के साथ शेयर नहीं करती हैं। उन्होंने छात्राओं से चुप रहने के बजाय आवाज उठाने को कहा। उन्होंने सोशल मीडिया की बुराइयों से भी अवगत कराया। वैभव खाती, युग चंद, पियूष पुनेठा, आस्था चंद, वैष्णवी, कार्तिकेय पांडेय, नितीष कुमार, मानवेंद्र ने सवाल पूछे। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने विभिन्न सवाल पूछे जिनकी जिज्ञासा पुलिस अधिकारियों ने शांत की। पाठशाला में स्कूल के फादर सेवेस्टाइन, प्रधानाचार्या सिस्टर लाइना सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद रहे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.