अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स कार्यक्रम के तहत सुंदर मुंदर बालिका इंटर कॉलेज में योग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें योग शिक्षक ने योग क्रियाओं के जरिए महिला शिक्षकों और छात्राओं को आंतरिक क्षमता बढ़ाने की जानकारी दी। विभिन्न आसनों के जरिए शरीर चुस्त रखने के गुर सिखाए।
मिर्जापुर। अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत शनिवार को नगर के बाजीराव कटरा स्थित सुंदर मुंदर बालिका इंटर कॉलेज में योग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें योग शिक्षक ने योग क्रियाओं के जरिए महिला शिक्षकों और छात्राओं को आंतरिक क्षमता बढ़ाने की जानकारी दी। विभिन्न आसनों के जरिए शरीर चुस्त रखने के गुर सिखाए। कार्यक्रम में 80 छात्राओं समेत सौ लोगों ने भागीदारी की।
योग शिक्षक प्रवीण कुमार शुक्ला ने कार्यशाला का शुभारंभ नाड़ी शोधन से किया। ओम शब्द की उपयोगिता के बारे में बताया। योग की विभिन्न मुद्रओं के बारे में जानकारी दी। इसके बाद सुखासन, वज्रासन और पद्मासन की क्रियाविधि समझाई। बताया कि वज्रासन एक मात्र ऐसा योग है जो भोजन करने के बाद किया जाता है। इससे न सिर्फ भोजन पचता है, पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। इस आसन से मेरुदंड को विशेष लाभ मिलता है। उसके सभी विकार दूर हो जाते हैं। उसके बाद उन्होंने त्रिकोणासन, अर्धचंद्रासन, शशांकासन, ताड़ासन और तिर्यक ताड़ासन, कटि चक्रासन की विशेषता बताई और इनका प्रदर्शन किया। योग शिक्षक ने उड्डियान बंध और अग्निसार क्रिया का प्रदर्शन किया। इनका और चक्कीचालासन का महिला शिक्षकों और छात्राओं ने अभ्यास किया। अनुलोम-विलोम और प्राणायाम भी किए। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. सुनीता पांडेय, सावित्री चौरसिया, दीपा मौर्य, शाहिदा परवीन, ज्योति वर्मा, श्रद्धा शंकरन, श्वेता अग्रवाल, अनूप कुमार, दुर्गेश, मोनिका सिंह, योग शिक्षक के साथ योग प्रशिक्षक शन्नो शुक्ला, नम्रता आनंद, जया शुक्ला, हर्षित शुक्ला, आकाश पाल समेत सौ लोग मौजूद थे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.