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जापान की तोमोका बनीं प्रयागराज की बेटी, भारतीय संस्कृति में रच-बस गई

Published - Sun 24, Mar 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां

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भारतीय संस्कृति को जानने-समझने की ललक ऐसी रही कि सात समंदर पार जापान से आकर तोमोका प्रयागराज की बेटी बन गईं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग से प्रो.पुष्पा तिवारी के निर्देशन में 'तीर्थस्थल गया के पौराणिक महत्व से लेकर वर्तमान बदलाव' पर शोध कर रहीं तोमोका फिलहाल तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध के रहस्यों को गहराई से जान समझ रहीं हैं। इसी के  साथ उन्होंने गयावाल के इतिहास को भी करीब से जाना। वह पटना सहित कई जगहों पर श्राद्ध पर व्याख्यान भी दे चुकी हैं। जुलाई 2014 में भारत आकर तोमोका ने हिंदी बोलनी सीखी। डॉ. मधु शुक्ला से शास्त्रीय गायन सीखने वाली तोमोका पद्मभूषण परवीन सुल्ताना के साथ दो बार संगत कर चुकी हैं। इतिहास और भारतीय संस्कृति सहित तीज त्योहारों के अध्ययन में जुटीं तोमोका कहती हैं, पहली बार वर्ष 2008 में इंडिया आई थी, मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार, पूर्वजों के निमित्त पूजा को देखा तो बस और जानने की इच्छा हो गई। देवी-देवताओं की कहानी, इतिहास खोजने में जुटी तो वेद, पुराण, रामायण, महाभारत भी पढ़ा। एक महिला होने के नाते महिलाओं के बीच व्रत, कथा को जानने में मदद मिली। इच्छा है कि जीवनभर इसे और जानती रहूं।