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बहादुर महिलाएं : सीखा रॉक क्ला​इंबिंग, रैपलिंग... ताकि जरूरत पड़ने पर कर सके मदद

Published - Fri 29, Mar 2019

धेवरा गांव में आपदा प्रबंधन कार्यशाला

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बारिश, बाढ़, भूकंप और भूस्खलन की स्थिति में सबसे ज्यादा नुकसान पहाड़ी क्षेत्रों में होता है। इसमें सबसे बड़ा नुकसान किसी की जान जाना होता है और अगर कोई अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचा ले, वह फरिश्ते से कम नहीं होता। कुछ इसी सोच के साथ धेवरा गांव की महिलाओं ने भी अपने कदम आगे बढ़ाए हैं। अमर उजाला के अपराजिता अभियान के तहत धेवरा गांव में आपदा प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में ग्रामीणों को राहत बचाव कार्यों की जानकारी तथा प्रशिक्षण दिया गया। धेवरा गांव स्थित पंचायत चौक में आयोजित कार्यशाला में जड़ी संस्था के सदस्यों ने ग्रामीणों को दैवीय एवं मानव जनित आपदाओं की जानकारी दी। इस प्रशिक्षण में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया।

 

मास्टर ट्रेनर राजमणि ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, जंगलों की आग आदि आपदाओं के कारण हर साल भारी तबाही मचती है। ग्रामीणों को प्रयोगिक ज्ञान देने के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें स्ट्रेचर बनाने व प्राथमिक चिकित्सा के साथ ही रैपलिंग, रीवर क्रॉसिंग, रॉक क्लाइंबिंग आदि की ट्रेनिंग दी। मास्टर ट्रेनर गंगा बहुगुणा ने गांव के युवक युवतियों को एडवेंचर कोर्स का विशेष प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि नेहरू पर्वतारोहण संस्थान द्वारा एडवेंचर कोर्स संचालित किए जाते हैं। अतिरिक्त आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व एसडीआरएफ द्वारा भी समय-समय पर कई ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाते हैं, जहां से जाड़ी संस्था के स्वयं सेवियों ने भी प्रशिक्षण लिया है। साथ ही पर्वतारोहण व ट्रैकिंग के क्षेत्र में स्वरोजगार करके अपनी आर्थिकी भी मजबूत कर सकते हैं।

गांव की अनीता देवी, रामेश्वरी देवी का कहना है कि ग्रामीण महिलाओं को चारापत्ती आदि कार्यों के लिए रोजाना जंगलों व दुर्गम क्षेत्रों में जाना पड़ता है। जहां कई बार पहाड़ी से गिरने, नदी में पैर फिसलने, जंगली जानवरों के हमले आदि घटनाओं के कारण वह घायल हो जाती हैं। ऐसे में राहत बचाव कार्य का प्रशिक्षण मिलने से महिलाओं को आपात स्थितियों से निपटने का साहस मिलेगा। बिंदेश्वरी देवी, सुनैना देवी, दक्षिणा देवी, जमनेश्वरी देवी, भरोसी देवी, यशोमति देवी, निशा, वर्षा, नीलांबर प्रसाद, मनीष, प्रकाश बहुगुणा आदि ने भी पूरे उत्साह के साथ प्रशिक्षण लिया।