अपराजिता साइलेंट चेंजमेकर्स
डॉ. अश्विनी, पति डॉ. उमेश और अपनी लाडली साढ़े तीन महीने की मीरा के साथ आईएमओ के वार्षिक समारोह से लौट रहे थे। घर के बाहर कार रुकी और पार्किंग से पहले वे लोग उतरने लगे। पीछे से आ रहे नशे में धुत कार चालक ने उनकी कार को ठोक दिया। इस टक्कर ने उनसे साढ़े तीन साल की मासूम बिटिया मीरा को छीन लिया। बेटी को खोने के सदमे के बीच उन्होंने तय किया कि बेटी का अंगदान कर दें, ताकि किसी और की दुनिया न उजड़े। एक जरूरतमंद परिवार मिला और शुरू हुई कागजी कार्रवाई। एक हफ्ते तक उन्होंने अपनी बेटी को वेंटीलेटर पर रखा, पर नियमों के इंतजार में बेटी ने दम तोड़ दिया और अंगदान न हो सका। इस घटना ने उन्हें झकझोर दिया और उन्होंने पीएमओ से संवाद शुरू किया।
पीएमओ तक पहुंची आवाज
सरकारी नियम-कानून का पालन और सम्मान दोनों जरूरी है। बेटी का अंगदान सिर्फ इसलिए नहीं हो सका, क्योंकि कागजी कार्रवाई पूरी करने में देर हो गई। फिलहाल उनके पत्र पर पीएमओ ने विचार शुरू कर दिया है, देखना है कब तक पूरी होती है मांग।
'एक आम आदमी अक्सर कड़े नियमों के चलते कई सुविधाओं से वंचित रह जाता है। अंगदान उनमें से एक है, इसके नियमों को सरल करना होगा। '
डॉ. अश्विनी सावरकर
पैथोलॉजिस्ट, अमरावती
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.