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बेटी के अंगदान नहीं हो पाए, अब नियम सरल बनाने को संघर्ष कर रहीं डॉ. अश्विनी

Published - Sun 10, Mar 2019

अपराजिता साइलेंट चेंजमेकर्स

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डॉ. अश्विनी, पति डॉ. उमेश और अपनी लाडली साढ़े तीन महीने की मीरा के साथ आईएमओ के वार्षिक समारोह से लौट रहे थे। घर के बाहर कार रुकी और पार्किंग से पहले वे लोग उतरने लगे। पीछे से आ रहे नशे में धुत कार चालक ने उनकी कार को ठोक दिया। इस टक्कर ने उनसे साढ़े तीन साल की मासूम बिटिया मीरा को छीन लिया। बेटी को खोने के सदमे के बीच उन्होंने तय किया कि बेटी का अंगदान कर दें, ताकि किसी और की दुनिया न उजड़े। एक जरूरतमंद परिवार मिला और शुरू हुई कागजी कार्रवाई। एक हफ्ते तक उन्होंने अपनी बेटी को वेंटीलेटर पर रखा, पर नियमों के इंतजार में बेटी ने दम तोड़ दिया और अंगदान न हो सका। इस घटना ने उन्हें झकझोर दिया और उन्होंने पीएमओ से संवाद शुरू किया।

पीएमओ तक पहुंची आवाज
सरकारी नियम-कानून का पालन और सम्मान दोनों जरूरी है। बेटी का अंगदान सिर्फ इसलिए नहीं हो सका, क्योंकि कागजी कार्रवाई पूरी करने में देर हो गई। फिलहाल उनके पत्र पर पीएमओ ने विचार शुरू कर दिया है, देखना है कब तक पूरी होती है मांग।

'एक आम आदमी अक्सर कड़े नियमों के चलते कई सुविधाओं से वंचित रह जाता है। अंगदान उनमें से एक है, इसके नियमों को सरल करना होगा। '

 डॉ. अश्विनी सावरकर
पैथोलॉजिस्ट, अमरावती