अपराजिता साइलेंट चेंजमेकर्स
तमिलनाडु के वेल्लोर की रहने वाली स्नेहा पार्थीबाराजा को अपनी तहसील तिरुपातुर के तहसीलदार से नया सर्टिफिकेट मिला है। इस सर्टिफिकेट की खासियत है कि इसमें उन्हें किसी जाति या धर्म से ताल्लुक न रखने वाली महिला के तौर पर सरकार ने स्वीकार किया है। माना जा रहा है कि वे देश में ऐसा सर्टिफिकेट पाने वाली देश की पहली लड़की हैं। ऐसे समय में जब जातिगत श्रेष्ठता और अपने-अपने धर्म को ऊंचा मानने की होड़ में अधिकतर लोग लगे हैं, पेशे से वकील स्नेहा ने यह सर्टिफिकेट हासिल किया तो इसके पीछे भी एक कहानी है। स्नेहा के अनुसार उनके वकील पिता ने उनकी स्कूल से लेकर तमाम शैक्षिक रिकॉर्ड्स में उनका कोई धर्म या जाति नहीं लिखवाई थी। लेकिन जब वे नौकरियों के लिए आवेदन करने का प्रयास करती तो यही दोनों बातें उनसे पूछी जाती। वे जवाब नहीं देती तो फॉर्म भी नहीं भर पातीं। साल 2010 में उन्होंने तहसीलदार को आवेदन कर सर्टिफिकेट मांगा, जिसमें उन्हें धर्म व जाति विहीन होने माना जाए। लेकिन यह आवेदन खारिज कर दिया गया। करीब नौ साल लगातर आवेदनों और विभिन्न शर्तों को पूरा करने के हलफनामे देने के बाद उन्हें अंतत: तहसीलदार ने यह सर्टिफिकेट दिया है।
जाति-धर्म अपनाना न अपनाना अधिकार माना
स्नेहा के अनुसार हर व्यक्ति को अपना धर्म व जाति चुनने का अधिकार होना चाहिए। इसे केवल जन्म के आधार पर तय नहीं किया जाना चाहिए। अगर व्यक्ति इन दोनों बातों को चुनना ही न चाहे तो इसका भी उसे अधिकार होना चाहिए।
जाति और धर्म बहुत नुकसान पहुंचा चुके, अब और नहीं
स्नेहा ने बातचीत में बताया कि उनके माता-पिता और सभी बहनें वकील हैं, घर में कुल पांच वकील हैं। सभी समाज को करीब से देखते आए हैं और समझा है कि किस प्रकार धर्म व जाति ने हमारे समाज और देश को नुकसान ही पहुंचाया है। वे चाहती हैं कि इसे खत्म किया जाए। इसके लिए उनका अपना प्रयास एक कदम है। वे खुश होंगी अगर देश में और लोग ऐसा प्रयास करते हैं। साथ ही कहती हैं कि उन्हें किसी भी जाति या धर्म से विहीन होने का सर्टिफिकेट मिलने के बाद अगर कोई पद या नौकरी के लिए जाति-धर्म बताना अनिवार्य होता है तो वे ऐसे पद या नौकरी को नकारना पसंद करेगी। स्नेहा के अनुसार यह उनका नहीं, उस संस्था या एजेंसी का नुकसान होगा, जो एक पात्र कैंडीडेट को उसकी जाति या धर्म से पहचानना चाहता है और बताने की अनिवार्यता रहता है।
'ईमानदारी से की गई कोशिश कभी असफल नहीं होती है, यह एक बार फिर से साबित हुआ।'
स्नेहा पार्थीबाराजा
वेल्लोर
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.