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अवनि ने लेह की खूबसूरती बचाने का उठाया बीड़ा

Published - Sun 10, Mar 2019

अपराजिता सिस्टम की ताकतवर कड़ी

aparajita system ki taakatwar kadi Avny Lavasa

कचरा प्रबंधन पूरे देश की एक बड़ी समस्या है। लेह इससे अछूता नहीं, बल्कि पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां का प्रदूषण पर्यावरण को कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। लेह को डंपिंग यार्ड न बनने देने का बीड़ा उठाया आईएएस ऑफिसर अवनी लवासा ने। दरअसल पर्यटन के लिहाज से लेह दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करता है। अफसोस कि इसकी खूबसूरती देखने आने वाले लोग इसे बरकरार रखने का जतन करने के बजाय यहां के हवा-पानी को प्रदूषित कर रहे हैं। युवा अधिकारी की लगन का ही नतीजा है कि तस्वीर बदल रही है।

प्रोजेक्ट तसांगदा ने बदली तस्वीर
एक अनुमान के अनुसार, 50 टन कचरा हर दिन शहर में निकलता है। अवनि कहती हैं कि हमने सबसे पहले लोगों से संवाद शुरू किया, उन्हें समझाया। नतीजा कि लोगों का कारवां बन गया। लोगों की सहमति से हमने प्रोजेक्ट तसांगदा शुरू किया, स्थानीय भाषा का शब्द है ये, जिसका मतलब है सफाई। इसमें हमें स्थानीय ग्रामीण विकास विभाग और लेह आटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल का सहयोग मिला। चोगलामसार, नुबरा, निमो और खलास्ती में चार वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर चल रहे हैं। अवनि बताती हैं कि पेपर और कपड़ों को रिसाइकिल कर हम जहां पर्दे, खिलौने, कुशन और अन्य सजावटी सामान बना रहे हैं, वहीं बोतलें और अन्य कांच के कचरों का इस्तेमाल सड़कों व अन्य निर्माण कार्यों में किया जा रहा है। जहां तक प्रोजेक्ट की सफलता की बात है तो 13 दिसंबर 2018 को एक साल पूरे हुए हैं और अन्य जिलों/इलाकों से भी लोग इस मॉडल को अपने यहां लागू करवाने के लिए कहने लगे हैं।

'किसी नई जगह पर दो महीने लोग आपको जज करते हैं। यदि आपने इस अवधि में खुद के काम को साबित कर दिया तो, महिला और पुरुष का भेद खुद ब खुद मिट जाता है।'

अवनि लवासा
डिप्टी कमिश्नर, लेह