जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाली गर्भवती महिलाएं 75 प्रतिशत एनीमिया से पीड़ित
खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी, मासिक धर्म और अन्य कारणों से महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हो रही हैं। एनीमिया का अर्थ है, शरीर में खून की कमी। महिलाओं में खून की कमी लगातार बढ़ती जा रही है। जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं में से 70 से 75 प्रतिशत एनीमिया से पीड़ित होती हैं। वहीं, इसमें से करीब 20 से 22 फीसदी महिलाएं गंभीर रूप से पीड़ित होती हैं। महिला विभाग में आने वाली कई गर्भवती महिलाओं का हीमोग्लोबिन 6 से भी कम होता है।
प्रसव के दौरान बच्चे और मां की जान को खतरा रहता है। ऐसे में डिलीवरी के समय अतिरिक्त रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। यहीं नहीं एनीमिया का असर नियमित जीवन पर भी पड़ता है। त्वचा का सफेद दिखना, जीभ, नाखूनों के अंदर सफेदी, कमजोरी और थकावट महसूस करना, उठने-बैठने में चक्कर आना, बेहोश हो जाना, सांस फूलना, हृदय गति का तेज होना और चेहरे और पैरों पर सूजन आना आदि इसके लक्षण होते हैं। किशोरावस्था और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में यह सबसे अधिक होता है। जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. वंदना शर्मा ने बताया कि देश में काफी संख्या में महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होने की संभावना ज्यादा होती है। यहीं नहीं इसकी वजह से अन्य बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। ऐसी महिलाओं को आयरन युक्त भोजन लेना चाहिए। चुकंदर व टमाटर का जूस, हरी पत्तेदार सब्जियां, खजूर, अंजीर और बादाम आदि का सेवन करें। समय पर संतुलित भोजन लें, उचित मात्रा में आराम करें। ज्यादा दिक्कत होने पर डॉक्टर से सलाह लें। चाहे तो महिलाएं जिला अस्पताल में आकर निशुल्क आयरन की दवाइयां भी ले सकती हैं।
इस वजह से हो सकती है दिक्कत
डॉ. वंदना शर्मा
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.