पंजाब के जिले तरनतारन की रहने वाली मनप्रीत कौर अपने क्षेत्र की हस्तशिल्प कला पंजाब की धरोहर ‘फुलकारी’ को तो सहेज ही रही हैं। इसके साथ-साथ वह क्षेत्र की करीब दो सौ महिलाओं के रोजगार का जरिया भी बन रही हैं।
पंजाब। जहां की मक्के की रोटी और सरसों का साग दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इसी पंजाब की एक धरोहर है ‘फुलकारी।’ एक ऐसी कला और ऐसी धरोहरजो दुनियाभर में पंजाब को पहचान दिलाती है। लेकिन आधुनिकता के इस युग में इस धरोहर की खूशबू खो सी गई थी। लेकिन पंजाब की बेटी मनप्रीतकौर ने इस बचाने का जिम्मा उठाया और आज वो इसे बचा भी रही हैं और यहां की महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करा रही हैं। फैशन के इस दौर में देश की हस्तशिल्प कला लगभग खो सी चुकी हैं। राजस्थान के बंधेज, गुजरात के गोटे का काम और बनारस का रेशम अब सिर्फ किताबों में ही पढ़ा-सुना जाता है। पंजाब की भी एक ऐसी ही हस्तशिल्प कला है ‘फुलकारी’ जो पंजाब की पहचान है, जो यहां की संस्कृति की गरिमा, और खूबसूरती का प्रतीक है। लेकिन आधुनिकता के इस युग में ये कला दम तोड़ने लगी थी। इस प्राचीन विरासत को बचाने के लिए प्रयास तो खूब हुए, लेकिन वो सिर्फ कागजो में चलते रहे। इस हस्तशिल्प कला को बचाने के लिए पंजाब के तरनतारन जिले के एक छोटे से कसबे पट्टी की रहने वाली मनप्रीत कौर ने जिम्मा उठाया। मनप्रीत, पंजाब की धरोहर ‘फुलकारी’ को उसकी सही पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।
ऐसे शुरू हुआ सफर
मध्यवर्गीय परिवार की बेटी मनप्रीत ने 2014 में इकॉनोमिक्स विषय में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। उनके पिता टैक्टर के स्पेयर पार्ट्स बेचने का काम करते थे, उनकी मां गृहिणी हैं और उनके साथ-साथ तीन बहन-भाइयों की जिम्मेदारी भी थी। घर की देखभाल करने के साथ अपनी पहचान बनाना भी मनप्रीत के लिए बड़ी चुनौती था। ऐसे में मनप्रीत ने कुछ करने की ठानी। अब उनके सामने समस्या ये थी कि क्या किया जाए। नौकरी से गुजारा चलना नहीं था,अपना काम भी शुरू करें, तो क्या करें। एक दिन मनप्रीत को घर में मौजूद एक पुराने बक्से में एक पुराना ‘फुलकारी’ दुपट्टा मिला। ये उनकी दादी का था। बस इसी दुपट्टे ने मनप्रीत की राह बदल दी। उन्होंने सोचा कि उस जमाने में जब महिलाएं घर में ही ‘फुलकारी’ बना दिया करती थीं, तो अब क्यों नहीं। उन्होंने इसी पर काम करने की ठानी। उन्होंने अपना यह आईडिया अपनी सहेलियों को बताया तो उनकी प्रतिक्रिया बहुत ही निराश करने वाली थी। उनके दोस्तों ने उन्हें कहा कि अब फुलकारी कौन पहनता है और ये तो देहात की चीज है, इसे कौन पसंद करेगा। उनके दोस्तों की बातों ने उन्हें सोचने पर मजबूर किया कि आखिर फुलकारी दुपट्टे पहनना या फिर सूट पहनना कब से पिछड़ापन हो गया। बल्कि यह पंजाबी संस्कृति का एक हिस्सा है, प्रतीक है। उन्होंने ठान लिया कि इसी पर काम करना है। मनप्रीत ने आस-पास की ही तीन-चार महिलाओं से बात की और उनसे सबसे पहले पांच दुपट्टे बनवाएं।”मनप्रीत ने अपने इन प्रोडक्ट्स को अपनी मां के नाम पर ब्रांड नाम दिया- ‘परवीन फुलकारी हाउस’। उन्होंने इंटरनेट पर खोज-बीन की और उन्हें पता चला कि एक सरकारी संस्था फुलकारी खरीदती है। मनप्रीत ने इस संस्था को अपने प्रोडक्ट्स देना शुरू किया। लेकिन यहां तीन चार महीने में पैसे मिलते थे। ऐसे में मनप्रीत ने प्राइवेट विकल्प की तलाश की। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना पेज बनाया और फिर पंजाब के ही कुछ मशहूर लोगों से अनुरोध किया कि वो उनके इस काम के बारे में अगर एक-दो जगह बता दें या फिर पोस्ट कर दें। क्योंकि इन लोगों की पहुंच कनाडा, अमेरिका जैसे देशों में भी थी। एक एनआरआई थे, वह अपनी बेटी की शादी के लिए इंडिया आये थे। उन्होंने 40 फुलकारी बनाने का ऑर्डर दिया।
इस ऑर्डर के बाद, मनप्रीत और उनकी टीम का हौसला काफी बढ़ गया। मनप्रीत ने अपने आस-पास के गांवों में भी जा-जाकर महिलाओं को अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया। आज उनका ‘परवीन फुलकारी हाउस’, एक सेल्फ हेल्प ग्रुप है, जिसे मनप्रीत हेड करती हैं। इस ग्रुप से फुलकारी की 200 महिला कारीगर जुड़ी हुई हैं।
महिलाओं को जोड़ना शुरू किया
‘फुलकारी’ काम मुश्किल तो है, इसके लिए कारीगरों को ढूढ़ना भी आसान नहीं है। ऐसे में मनप्रीत ने गांव की औरतों को इससे जोड़ना शुय किया। उन्हेंसमझाया कि उन्हें उनके काम के पैसे बिल्कुल वक्त पर मिलेंगे और साथ ही, हम उन्हें घर पर सारा सामान देकर आते हैं और फिर काम पूरा होने के बादउनसे प्रोडक्ट लेकर भी हम ही आते हैं। चूंकि उनका जिला तरनतारन नशे को लेकर बदनाम है, तो मनप्रीत की कोशिश थी कि महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा किया जाए। मनप्रीत इसमें सफल रहीं। आज गांव की सैंकड़ों महिलाएं उनसे जुड़ी हुई हैं।
‘फुलकारी’ में किया कुछ नया
दुपट्टों के अलावा, ‘परवीन फुलकारी हाउस’ में आपको फुलकारी सूट, स्टोल, बैग, शर्ट, कुर्ता आदि भी मिल जायेंगे। इसके अलावा, इन प्रोडक्ट्स को फाइनल टच देने के बाद जो कुछ भी थोड़ा-बहुत कपड़ा बच जाता है, उसे वे पोटली, पीढी, छाज, जुती आदि में लगाकर, उन्हें भी फुलकारी का टच दे देती हैं। मनप्रीत का कहना है कि विरासत को सहेजना ही मेरा लक्षय था, जिसमें मैं सफल रही। हमने अपनी फुलकारी को मॉडर्न ट्रेंड में ढाला। जैसे पूरे दुपट्टे के साथ हम कॉलेज की लडकियों की पसंद की स्टोल भी तैयार करते हैं। सूट के साथ आपको कुर्ते भी हमारे पास मिल जायेंगे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.