2015 में जब देश के कई हिस्सों में सूखा पड़ा तो इस खबर ने गर्विता गुल्हटी को काफी आहत किया। उन्होंने सोचा कि कई जगह लोगों को पानी नहीं मिल रहा है तो कहीं जगहों पर पानी को बर्बाद किया जा रहा है। सबसे पहले उनके ख्याल में रेस्तरां के बारे में विचार आया, जहां लोग गिलास में पानी छोड़ जाते हैं और फिर उसे फेंक दिया जाता है। यही से उन्होंने आधा गिलास पानी अभियान की शुरूआत की। जिसके लिए गर्विता को पुरस्कार भी मिल चुका है।
नई दिल्ली। गर्विता इंदौर के पास एक छोटे से कस्बे की रहने वाली हैं, लेकिन बचपन से ही वह अपने माता-पिता के साथ मुंबई और बंगलूरू में पली-बढ़ी। वह अभी बंगलूरू के एक कॉलेज से बीटेक कर रही हैं। गर्विता की मानें तो मैं स्कूल के समय से ही सामाजिक कार्यों के प्रति जागरूकता फैलाने को लेकर उत्साहित रहती थी। स्कूल के समय में मैंने युवा लड़कियों को सशक्त बनाने, अपनी पढ़ाई के बाद बचा वक्त अनाथालयों में बच्चों को पढ़ाने में बिताया। तब मेरी उम्र करीब तेरह-चौदह वर्ष रही होगी, जब मैंने पटाखे पर रोक लगाने के लिए अभियान चलाया। मेरी सोसाइटी के लोगों ने इसे स्वीकार किया और उन्होंने पटाखे फोड़ने बंद कर दिए। वर्ष 2015 में देश के कई हिस्सों में भीषण सूखा पड़ा। करोड़ों लोग पानी की कमी से जूझ रहे थे, इनमें सबसे अधिक परेशानी निचले तबके के लोगों को हो रही थी, इसलिए मैंने जल बचाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया। सबसे पहले मैंने रेस्तरां में पानी को बर्बाद होने से बचाने के उपाय सोचे और रेस्तरां मालिकों से मुलाकात की।
ऐसी हुई शुरुआत
सूखे की खबरों से परेशान होकर मैंने पानी की समस्या के बारे में वृहद अध्ययन शुरू किया। गहन शोध के दौरान मुझे चौंकाने वाले तथ्य मिले। एक तथ्य था कि होटलों, रेस्तराओं में गिलासों में छोड़े जाने से लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है। मुझे लगा कि लोग इसलिए इस बारे में नहीं सोच रहे हैं, क्योंकि उन्हें पानी आसानी से मिल जाता है।
बर्बादी पर अंकुश की पहल
मैंने व्हाई वेस्ट के नाम से अभियान चलाया। मैंने पूरे शहर के दर्जनों रेस्तरां संचालकों से बातचीत की और उन्हें पानी के संरक्षण के लिए जागरूक किया। मैंने ग्राहकों को आधा गिलास पानी देने का विचार उन लोगों को बताया। शुरुआत में उनमें से बेहद कम लोगों ने मेरे विचार पर ध्यान दिया लेकिन धीरे-धीरे अधिकतर लोग इसका पालन करने लगे, तो पानी की बर्बादी पर अंकुश लगा। इस तरह पानी
बचाने के लिए आधा गिलास पानी अभियान की शुरूआत हुई।
और लोग भी जुड़े
धीरे-धीरे अन्य युवा भी मेरे साथ जुड़े, तो व्हाई वेस्ट एक टीम बन गई, जो लगातार पानी के संरक्षण के लिए काम कर रही है। इसके बाद बड़ी श्रृंखलाओं वाले रेस्तरां ने इसे अपनाया। मेरे काम को वैश्विक स्वीकार्यता मिली और मुझे डायना पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि उन युवाओं का समर्थन करता है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.