लॉकडाउन में सामाजिक मान्यताएं भी टूटने लगी हैं। ऐसा ही अनोखा मामला आया है उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में। यहां एक महिला को अपने पति की मौत के बाद उसे खुद ही मुखाग्नि देनी पड़ी क्योंकि लॉकडाउन के पीरियड में उसका कोई रिश्तेदार नहीं आ सका।
नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान संतोष जायसवाल की मौत हो गई। सूचना देने के बाद भी उनके रिश्तेदार अंतिम यात्रा में नहीं पहुंच सके। ऐसे में मुखाग्नि देने पर विचार होने लगा, तभी मृतक की पत्नी ने खुद अंतिम संस्कार करने की बात कही। एक बार तो सुनकर सभी भौचक्के रह गए लेकिन उनके फैसले की सभी ने सराहना की।
बहुत ही गरीब परिवार के थे संतोष
संतोष बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य शिवशंकर पटेल सहित स्थानीय लोगों की मदद से पत्नी गुड़िया ने पति का अंतिम संस्कार स्थानीय अवधूत भगवान राम घाट पर किया। ऐसे अनोखे मामले की हर तरफ चर्चा हुई। लोगों ने महिला के हिम्मत को सराहा।
लंबे समय से बीमार चल रहे थे
एक स्कूल में काम करके परिवार चलाने वाले संतोष की तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी। वह इलाज कराने के लिए अपने ससुराल आए हुए थे। जमा पूंजी खत्म होने के बाद आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण लोगों के सहयोग से उसका इलाज चल रहा था। इसी बीच लाकडाउन लागू हो गया और मदद मिलनी भी बंद हो गई। पत्नी भी घर से बाहर नहीं निकल सकी। इस वजह से पांच अप्रैल की सुबह संतोष की मौत हो गई। लॉकडाउन की वजह से समाचार जानने के बाद भी न तो कोई रिश्तेदार पहुंच सका और न ही कोई मदद करने पहुंचा। महिला ने जिला पंचायत सदस्य से मदद की गुहार लगाई। इस पर उन्होंने अंतिम संस्कार के लिए आर्थिक मदद करने के साथ ही शव को अवधूत भगवान राम घाट पर पहुंचाने की व्यवस्था की। साथ ही इसकी सूचना उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य शिवशंकर पटेल को दी। शिवशंकर पटेल ने लकड़ी सहित अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराए। अन्य लोगों ने आर्थिक मदद की। किसी रिश्तेदार के न पहुंचने पर पत्नी गुड़िया ने पति को मुखाग्नि दी।
तीन साल की है बेटी
गुड़िया की तीन वर्ष की एक बेटी है। अब बेटी को वह कैसे पालेगी उसको यही चिंता सता रही है। घर में कोई कमाने वाला नहीं है, ऊपर से बच्ची के सिर से पिता का साया भी उठ गया।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.