कला में विशेष रूचि रखने वालीं दीपा कहती हैं, पिछले साल एक मूर्ति मैंने अपने लिए बनाई थी, तो जिसने भी देखा, बहुत तारीफ की। व्हाट्सऐस पर इन्हें शेयर किया तो कई लोगों ने ऑर्डर कर दिया।
नोएडा। सेक्टर 77 के एलीट होम्ज में रहने वालीं दीपा जोशी ने गणपति की इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई हैं। कला में विशेष रूचि रखने वालीं दीपा कहती हैं, पिछले साल एक मूर्ति मैंने अपने लिए बनाई थी, तो जिसने भी देखा, बहुत तारीफ की। इस बार 15 दिन पहले ही मैंने गणपति की मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया। व्हाट्सऐस पर इन्हें शेयर किया तो कई लोगों ने ऑर्डर कर दिया कि उन्हें भी गणपति चाहिए। क्योंकि कोरोना काल में घर से बाहर निकल कर बाजार जाने से लोग बच रहे हैं। बस इस तरह मुझे गणपति बप्पा कर मूर्तियां बनाने का और जोश आ गया।
परिवार ने दिया साथ
दीपा कहती हैं कि एक मूर्ति बनाने में सात से आठ किलो मिट्टी लगती है और मूर्ति बनाने में पांच से छह दिन का समय लगता है। फिर घर का काम भी तो करना है। पति संजय बहुत साथ दे रहे हैं। वे कहते हैं कि घर का काम मुझ पर छोड़ दो, बस तुम बप्पा की मूर्तियों को अच्छे से बनाओ। वहीं बेटी विशाखा ने हाल ही में 12वीं पास की है तो वह भी मूर्तियां बनाने में मेरी मदद करती है। वैसे वो जेईई और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की ऑनलाइन तैयारियों में लगी है। दीपा बताती हैं कि चौथी क्लॉस में पढ़ने वाला उनका बेटा कार्तिकेय बहुत उत्साहित था जब मैं मिट्टी लेकर आई और उसे गूंथना शुरू किया। उसने मूर्ति बनाने के प्रोसेस को पूरी तरह देखा और मेरे साथ काम भी किया। मिट्टी से लिपटे हाथ उसे पसंद नहीं हैं, लेकिन गणपति की मूर्ति मेरे साथ बनाते हुए उसने खूब आनंद लिया।
इको-फ्रेंडली मृर्तियां घर में भी सजाएं
दीपा जोशी ने अपने घर में और भी कई मूर्तियां मिट्टी से ही बनाकर सजाई हुई हैं। वह कहती हैं कि नेचुरल मिट्टी को सिर्फ पानी से गूंथती हूं और फिर उसे मनचाहा आकार देती हूं। हाथ से बनी इन मूर्तियों को संभालकर रखना पड़ता है, क्योंकि इसमें और कोई रसायन या आर्टिफिशल चीज मिक्स नहीं की गई है। देखने में ये बहुत सुंदर लगती हैं।
रंगों से सुसज्जित बप्पा
दीपा कहती हैं कि उन्हें तो बप्पा की मूर्तियों में रंग करना पंसद नहीं है, वो नेचूरल मिट्टी वाले गणपति पसंद करती हैं, लेकिन लोगों को रंगों से सुसज्जित गणेशजी भाते हैं तो इसलिए वे मूर्तियों को कई रंगों से रंगकर उन्हें बेहद खूबसूरत आकार देती हैं।
जल में घलनशली हैं इको-फ्रेंडली बप्पा
गणपति चतुर्थी पर लोग बप्पा को जल में विसर्जित करते हैं। दीपा कहती हैं कि उनकी बनाईं इको-फ्रेंडली मूर्तियां पूरी तरह पानी में विसर्जित हो जाएंगी, क्योंकि ये खालिस मिट्टी की जो बनी हैं। हां, पूरा एक दिन इन्हें लगेगा, पूरी तरह पानी में घुलने में। वहीं, रंगों से सजी मूर्तियों को डेढ़ से दो दिन लगते हैं घुलने में।
बप्पा से जुड़े इमोशन
दीपा कहती हैं कि जब कोई मूर्ति उनसे खरीदकर ले जा रहा होता है तो उस समय मैं बहुत भावुक हो जाती हूं। क्योंकि जिस वक्त मैं बप्पा की मूर्ति को बना रही होती हूं तब मुझे ऐसा महसूस होता है, जैसे मां पार्वती अपने पुत्र को मिट्टी से बना रही हैं। ऐसे में जब गणेशजी मेरे घर से किसी दूसरे घर में जाते हैं तो मैं इमोशनल जरूर होती हूं, लेकिन खुश होती हूं कि बप्पा की वहां अच्छे से पूजा और खातिरदारी होगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.