चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का विरोध करने वाली काइ शिया की आजकल विश्व की राजनीति में खूब चर्चा है। वह अकेली ऐसी महिला हैं, जो खुलकर शी-जिनपिंग का विरोध कर रही हैं। इस विरोध के चलते उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी से निकाल दिया गया है इसके बावजूद वह शी पर कोरोना महामारी को छुपाने, भारत सीमा पर तनाव बढ़ाने और देश के लोगों को मुख्य मुद्दे से भटकाने जैसे गंभीर आरोप लगा चुकी हैं।
नई दिल्ली। चीन में राजनीतिक उदारवाद की समर्थक रहीं काइ शिया पिछले एक साल से अमेरिका में रहते हुए जिनपिंग पर गंभीर आरोप लगा चुकी हैं। वह जिनपिंग को 'माफिया बॉस' और कम्युनिस्ट पार्टी को 'सियासी दानव' तक कह चुकी हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में दिए गए एक इंटरव्यू में काइ ने जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी की न केवल पोल खोल करके रखी, बल्कि खुलकर गुस्से का इजहार किया। ऐसे में उन पर गाज गिरना तय था।
कौन हैं काइ शिया?
काइ शिया रिटायर्ड प्रोफेसर हैं। वह चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल में अफसरों को 'लोकतांत्रिक राजनीति' पढ़ाती थीं। रिटायर्ड प्रोफेसर काइ इसलिए चीनी सियासत में अहम हैं क्योंकि ये स्कूल चीनी सत्ता की व्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण और अभिजात्य वर्ग का रहा है। इस स्कूल के प्रमुख पहले चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग रह चुके हैं और हू जिंताओ के साथ खुद जिनपिंग भी।
काई की विरासत ऐसी रही है कि देश में उनके योगदान को भूला नहीं जा सकता। चीनी कम्युनिस्ट क्रांति में लड़ने वाले अभिभावकों की बेटी काइ खुद चीनी सेना का हिस्सा रही हैं। उसके बाद चीन की फैक्ट्री में, फिर स्कूल टीचर के रूप में सेवाएं देने के बाद काइ इस अहम अकादमी में शामिल हुईं। खबरों की मानें तो कम्युनिस्ट पार्टी में कई खास लोग काइ को बेहद सम्मान के साथ देखते हैं।
कैसे आईं निशाने पर
काइ के बयानों को लेकर साल 2011 से ही उनके खिलाफ हमले बोले जा रहे थे और उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना करने पर चेताया जा रहा था। जब काइ चीन से बाहर रहने लगीं तो उन पर दबाव बनाया गया कि वो चीन लौटें। न मानने पर काइ को न केवल कम्युनिस्ट पार्टी से बेदखल किया गया बल्कि सेंट्रल पार्टी स्कूल ने उनके रिटायरमेंट के लाभ भी रद्द कर दिए।
पार्टी से निकाले जाने के बाद कहा,
मुझे विश्वास है कि सिर्फ मैं ही नहीं हूं, जो पार्टी छोड़ना चाहती थी। कई लोग इस पार्टी को छोड़ेंगे... मुझे पार्टी सालों पहले ही छोड़ देना थी, जब यहां बोलने की आजादी तो क्या, इसकी जरा सी गुंजाइश तक भी नहीं बची थी और मेरी आवाज़ को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जा रहा था। अब मैं अपने आप को आजाद महसूस कर रही हूं।
इन बातों का किया विरोध और कहा,
- जिनपिंग के नेतृत्व में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी देश की तरक्की में बाधा बनी।
- जून में लीक हुई एक रिकॉर्डिंग में काइ ने कहा था 'देश और पार्टी के हत्यारे' जिनपिंग को सत्ता से बेदखल कर सात सदस्यों वाले पोलित ब्यूरो को व्यवस्था अपने हाथ में लेना चाहिए।
- कोरोना महामारी को हैंडल न कर पाने पर जिनपिंग की आलोचना करने वाले बिजनेसमैन रेन झिकियांग को कथित तौर पर झूठे मामलों में फंसाए जाने पर काइ ने रेन का साथ दिया था।
- हांगकांग में चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को काइ ने भयानक फैसला बताया।
- काइ के मुताबिक पार्टी के भीतर जिनपिंग के विरोधी बहुत हैं, लेकिन अनुशासन के नाम पर बदले की कार्रवाई की जाएगी, इस डर से कोई उनके खिलाफ बोलता नहीं।
कोरोना महामारी की जानकारी छुपाने का आरोप
काइ ने शी पर कोविड-19 के मामले में जानकारियां छुपाने, समय से सच न बताने, समय पर उचित कदम न उठाने जैसे आरोप लगाकर जिनपिंग सरकार को महामारी रूपी आपदा के लिए जिम्मेदार भी ठहराया। उन्होंने कहा कि कोरोना का पहला मामला सात जनवरी को आ गया था, फिर भी इसे 20 तक छुपाए रखा गया।
भारत के साथ तनाव एक चाल
काइ कह चुकी हैं कि चीन के लोगों का ध्यान देश की समस्याओं और वास्तविक मुद्दों से हटाने के लिए जिनपिंग कभी देश में अमेरिका के खिलाफ भावनाएं भड़काते हैं तो कभी भारत के साथ तनाव को हवा देते हैं। काइ का आरोप है कि जिनपिंग अपनी नीतियों से न केवल चीन की छवि खराब कर रहे हैं, बल्कि दुनिया भर को चीन का दुश्मन बना रहे हैं। यह सब शायद एक सोची समझी रणनीति के तहत ही किया जा रहा है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.