महिला सशक्तीकरण : 40 वर्षों में 284 महिला भारतीय वन सेवा अधिकारी बनी , पहली महिला अधिकारी 1980 में चुनी गई
महिला सशक्तीकरण की एक कहानी भारत के जंगलों से निकल कर आई है। पिछले 40 वर्षों में 284 महिला भारतीय वन सेवा अधिकारी बनी हैं। आज देश के तीन राज्यों में वन सेवा के शीर्ष पद पर महिलाएं ही हैं।
इंपीरियल फॉरेस्ट सर्विस के नाम से 1864 में शुरू हुई इस सेवा को 1966 में भारतीय वन सेवा का नाम मिला और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के जरिए अफसरों का चयन होने लगा। लेकिन सेवा में पहली महिला अधिकारी 14 वर्ष बाद यानी 1980 में चुनी गई। दरअसल, उस वर्ष एक नहीं तीन महिलाओं का चयन हुआ। ये थीं वीना सेखरी, मीरा अग्रवाल और सीएस रमालक्ष्मी। तब से लेकर आज तक 284 महिलाएं इस सेवा के लिए चुनी गई जिनमें से 18 महिलाओं ने अपनी सेवा के शीर्ष पद प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) पर काम किया है। इनमें से तीन - डॉ सविता (हिमाचल प्रदेश), आर शोभा (तेलंगाना) और डॉ श्रुति शर्मा (राजस्थान) अपने-अपने राज्यों के वन विभाग के शीर्ष पद पर हैं।
वीना को मिला था गोरखपुर के जंगलों का जिम्मा
पांच वर्ष पहले उत्तराखंड की पीसीसीएफ पद से सेवानिवृत्त हुई वीना सेखरी कहती हैं कि इस सेवा में महिला और पुरुषों के काम में कोई अंतर नहीं है। मेरी पहली तैनाती उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के जंगलों में हुई थी और अपने 36 साल के करियर में मुझे कभी कोई शिकायत नहीं हुई।
आसान नहीं है काम
दरअसल वन सेवा के अधिकारी अधिकतर जंगलों में और जंगली जानवरों के बीच काम करते हैं। इसीलिए बहुत कम महिलाएं ही इस सेवा में जाना पसंद करती है, लेकिन अब धीरे-धीरे चलन बदल रहा है। आज जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की उपनिदेशक 2012 बैच की अधिकारी कल्याणी हैं, जबकि 1987 बैच की ज्योत्सना सितलिंग ने बद्रीनाथ के पास स्थित फूलों की घाटी का संरक्षण कराया था।
10% प्रतिनिधित्व
भारतीय वन सेवा के आज 3000 से अधिक अधिकारी विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। इस लिहाज से इस सेवा में 50 प्रतिशत आबादी वाली महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत भी नहीं है।
महिला दिवस पर किताब
वर्ष महिला दिवस पर भारतीय वन सेवा के अधिकारियों ने महिला अधिकारियों की भागीदारी पर ‘द ग्रीन क्वींस ऑफ इंडिया - नेशंस प्राइड’ नाम की किताब निकाली जिसका विमोचन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.