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जब प्लाज़्मा थेरेपी पर नहीं हो रही थी बात, तब सुमिति ने डोनेट किया था 500 एमएल प्लाज़्मा

Published - Thu 30, Apr 2020

प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना के गंभीर मरीज़ों के ठीक होने की उम्मीद जग रही है। इस थेरेपी के अब तक हुए ट्रायल के कुछ नतीजे भी अच्छे आए हैं। ऐसे में गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली सुमिति सिंह ने अपनी मर्जी से प्लाज्मा डोनेट किया। उन्होंने यह डोनेशन उस समय की, जब इस थेरेपी पर बात भी नहीं हो रही थी। अब वह इसके लिए दूसरों को प्रेरित कर रहीं हैं। आइए जानते हैं उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी...

sumiti singh

कोरोना को हराने वाली अहमदाबाद की पहली मरीज


नई दिल्ली। इलाज के बाद कोरोना वायरस को हराने वाली सुमिति ने अब दूसरे मरीज़ों को बचाने के लिए अपना प्लाज्मा डोनेट किया है। दरअसल फिनलैंड से लौटने के बाद सुमिति को बुखार हुआ और फिर हल्की खांसी और चेस्ट में टाइटनेस की शिकायत, उनमें कोरोना के हल्के लक्षण थे। 18 मार्च को उन्हें अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अस्पताल में भर्ती कर लिया गया और 29 मार्च को इलाज के बाद वो ठीक हो गईं।  उन्हें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर पर जाने की जरूरत नहीं पड़ी। अहमदाबाद में कोरोना को हराकर ठीक होने वाली वो पहली मरीज थीं। 

शुरू में प्लाज़्मा थेरेपी पर नहीं हो रही थी चर्चा

उस वक्त प्लाज़्मा थेरेपी को लेकर इतनी चर्चा नहीं थी और ना ही इसके ट्रायल शुरू हुए थे, लेकिन ठीक होने पर 14 दिन के बाद जब सुमिति फॉलो-अप चेकअप के किए दोबारा अस्पताल आईं, तो उन्हें डॉक्टरों ने बताया कि वो चाहें तो दूसरे कोरोना मरीज़ों की मदद के लिए प्लाज़्मा डोनेट कर सकती हैं।

सुमिति ने 500 एमएल प्लाज़्मा डोनेट किया
सुमिति दूसरे मरीज़ों और इस जंग को लड़ रहे डॉक्टर्स की मदद करना चाहती थीं, लेकिन उनके और उनके परिवार के मन में कई तरह की आशंकाएं भी थी। ठीक वैसी ही आशंकाएं जो कोरोना से ठीक हुए दूसरे लोगों के मन में आ रही हैं। प्लाज़्मा में एंटीबॉडी होती है तो कहीं डोनेशन के बाद उनका एंटीबॉडी तो कम नहीं हो जाएगा? डोनेशन का प्रोसेस कहीं जटिल या पेनफुल तो नहीं होगा? निडल से कोई इन्फ़ेक्शन तो नहीं हो जाएगा? लेकिन डॉक्टर्स ने सुमिति के सभी सवालों का जवाब दिया और उन्हें बताया कि शरीर बहुत-से एंटीबॉडी बनाता है और डोनेशन में ठीक हुए व्यक्ति से सिर्फ उनके एंटीबॉडी का छोटा सा हिस्सा लिया जाता है और ये बहुत कम वक्त में हो जाता है। ये बिल्कुल वैसा ही प्रोसेस है जैसे ब्लड डोनेशन के वक्त होता है और इस दौरान डिस्पोज़ेबल निडल और ट्यूब का इस्तेमाल होता है, जो हर व्यक्ति के लिए नया लिया जाता है। डॉक्टर्स ने बताया कि कोरोना से ठीक हुए जिस भी व्यक्ति को पहले से कोई और बीमारी नहीं है और उसके शरीर में एंटीबॉडी है तो वो प्लाज़्मा डोनेट कर सकता है। व्यक्ति ये अपनी इच्छा से कर सकता है, उस पर कोई दबाव नहीं होता। इसके बाद सुमिति ने 500 एमएल प्लाज़्मा डोनेट किया। वह कहती हैं कि ऐसा करके काफी सुकून महसूस हुआ। अब वह ऐसा करने के लिए दूसरों को भी प्रेरित करती हैं।