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बेघर ट्रांसजेंडरों को आश्रय दे रहीं नक्षत्रा

Published - Wed 27, Jan 2021

नक्षत्रा महज 16 साल की थीं, जब उन्हें ट्रांसजेंडर होने के कारण अपना घर छोड़ना पड़ा। उस दौरान उन्हें सड़कों पर भीख मांगनी पड़ीं। तभी उन्होंने बेघर ट्रांसजेंडरों को आश्रय देने के लिए कुछ करने का निर्णय लिया। सक्षम होने पर उन्होंने एक घर बनाया, जहां बेघर बच्चों को आश्रय और भोजन दिया जाता है।

नई दिल्ली। नक्षत्रा बंगलूरू की रहने वाली ट्रांसजेंडर हैं। बचपन से ही उन्होंने देखा था कि ट्रांसजेंडरों के साथ समाज में कैसा व्यवहार किया जाता है। नक्षत्रा की मानें तो उम्र बढ़ने के साथ जब मेरे शरीर में बदलाव स्पष्ट दिखने लगे, तो अन्य ट्रांसजेंडरों की तरह मुझे भी अपने परिवार से अलग ट्रांसजेंडर समुदाय में शामिल होना पड़ा। तब मेरी उम्र सोलह-सत्रह वर्ष की रही होगी, तब मुझे इसका एहसास हो गया था कि इस दुनिया में बिना आय, भोजन और आश्रय के जीवित रहना मुश्किल है। समुदाय के अन्य सदस्यों के साथ मैं भी बंगलूरू की सड़कों पर भीख मांगने लगी। जिसके यहां रहती, खाती थी, उसे मजबूरन भीख मांगकर पैसा देना पड़ता था। मैं अक्सर सोचा करती थी कि सक्षम होने पर एक दिन बेघरों को आश्रय देने के लिए एक संगठन बनाऊंगी। भीख मांगने के दौरान ही मैं बंगलूरू महानगर पालिका के कुछ लोगों के संपर्क में आई और उनसे अपनी इच्छा जाहिर की, तो उन्होंने अपने कई सामाजिक फैसलों में मुझे हिस्सा बनाया। 

लोगों से सम्मान की उम्मीद 

महानगर पालिका के साथ काम करने पर अन्य लोग मुझे पहचानने लगे। मैं कई ऐसे ट्रांसजेंडरों से मिली, जो समुदाय के लिए अच्छा करना चाहते थे, ताकि लोगों की ज्यादतियों से बचाया जा सके। हमारा उद्देश्य बेघर बच्चों और लोगों की मदद करना है। साथ ही बच्चों को भीख मांगने के बजाय शिक्षा दिलाना है, ताकि वे सम्मानजनक जिंदगी जी सकें।  

दोस्तों का साथ मिला

इतना सब कुछ होने के बाद भी हमारी परेशानी खत्म नहीं हुई थी। इन लोगों के रहने के लिए हमने किराये पर घर तलाशने शुरू किए, तो लोगों ने हमसे दूरी बनानी शुरू कर दी। काफी तलाश के बाद हमें एक तीन मंजिला इमारत मिली। कुछ रुपये मेरी बचत के थे, बाकि मैंने कुछ लोगों से मदद मांगकर इकट्ठा किए। कुछ अन्य सहयोगियों की मदद से हम प्रतिमाह घर का किराया और सबके खाने की व्यवस्था कर रहे हैं। 

एक दर्जन से अधिक बच्चे काम करते हैं

हमारे साथ एक दर्जन से अधिक बच्चे रहते हैं। मेरे कई दोस्त विभिन्न जगह काम करते हैं और वह अपनी कमाई का एक हिस्सा बच्चों पर खर्च करते हैं। वह बच्चों के बीच अपना समय बिताते हैं, उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। हम जानते हैं कि हम कोई महान काम नहीं कर रहे हैं। हम बस उनकी मदद कर रहे हैं, ताकि उन्हें खाने और रहने के लिए संघर्ष न करना पड़े।