छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर शहर में कचरा प्रबंधन कार्य में लगी 457 महिलाएं महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं। इन महिलाओं ने महज कुछ वर्षो में ऐसा कारनामा कर दिखाया कि न सिर्फ देश दुनिया में इन महिलाओं का नाम चर्चित हो गया बल्कि शहर को स्वच्छता में कई अवार्ड भी हासिल हुए हैं।
नई दिल्ली। अंबिकापुर शहर को देश के दूसरे स्वच्छ शहर में लाकर खड़ा करने का श्रेय इन्हीं महिलाओं को जाता है। इन महिलाओं ने न सिर्फ नाम कमाया बल्कि कचरे से कैसे आर्थिक आय अर्जित की जा सकती है, यह भी करके दिखाया। इन्होंने चार वर्षों में सात करोड़ चार लाख की आय अर्जित की है। इसमें से चार करोड़ सात लाख रुपये यूजर चार्ज के रूप में व दो करोड़ सात लाख रुपये सूखा गीला कचरा बेचकर कमाया है। यह महिलाएं कभी घर से बाहर नहीं निकलती थीं, लेकिन जब निकलीं तो वह कर दिखाया, जिससे देश-दुनिया में इनका नाम हो गया और शहर का भी नाम जुड़ गया। अब महिलाएं हर माह सात हजार रुपये मानदेय भी प्राप्त कर रही हैं और बेहतर जीवन यापन कर रही हैं।
तत्कालीन कलक्टर ऋतु सेन की अगुवाई में शुरू हुआ काम
अंबिकापुर शहर में वर्ष 2015 में तत्कालीन कलक्टर ऋतु सेन की अगुआई में कचरा प्रबंधन का काम शुरू हुआ, तब शहर की इन महिलाओं को बाहर निकाला गया। एक-एक समूह बनाकर साढ़े चार सौ महिलाओं को जोड़ दिया गया। सभी को प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद शहर में शुरू हुआ कचरा प्रबंधन का अनोखा काम। एक वर्ष में इस काम ने अंबिकापुर शहर को देश के स्वच्छता नक्शे पर लाकर खड़ा कर दिया। पहले ही वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण में अंबिकापुर देश का 15 वां स्वच्छ शहर के पायदान पर पहुंच गया और फिर दो लाख की आबादी वाले शहरों में नंबर वन शहर का तमगा भी हासिल कर लिया। इसके बाद अंबिकापुर देश के 11 वें स्वच्छ शहर के पायदान पर पहुंचा। बीते वर्ष हुए सर्वेक्षण में अंबिकापुर, इंदौर के बाद देश का दूसरा स्वच्छ शहर बना। इस बीच कई राष्ट्रीय अवार्ड भी स्वच्छता के लिए मिले।
18 एसएलआरएम सेंटरों में होता है काम
मार्च 2015 में जब अंबिकापुर शहर में इन महिलाओं ने कचरा प्रबंधन का काम शुरू किया तो एकमात्र एसएलआरएम सेंटर बतौर प्रयोग खोला गया था। धीरे-धीरे अब इस शहर में 18 एसएलआरएम सेंटर खुल चुके हैं, जहां महिलाएं 24 घंटे बैठी रहती हैं। अधिकांश महिलाओं ने तो एसएलआरएम सेंटर को ही अपना घर बना लिया है। जहां कंपोस्ट खाद तैयार कर साग सब्जियां उगा रहीं हैं और वही भोजन करती हैं। यह एसएलआरएम सेंटर अब कचरा प्रबंधन सेंटर नहीं बल्कि इन संघर्षशील महिलाओं का घर बन चुका है।
सबकी अलग-अलग जिम्मेदारियां
स्वच्छ अंबिकापुर मिशन फेडरेशन की अध्यक्ष नीलम बखला का कहना है कि हम 457 महिलाएं एक साथ काम करती हैं। सबकी अलग-अलग जिम्मेदारियां हैं, जिसका सभी ईमानदारी से निर्वहन कर रही हैं। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के साथ सेवा की भावना सभी महिलाओं में है। नागरिकों का सहयोग भी मिलता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.