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एफआईआर है आपका हथियार, जानिए कैसे दर्ज होती है एफआईआर

Published - Sun 25, Aug 2019

आपकी सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा बहुत सी योजना चलाई जा रही हैं और बहुत से कानून  बनाए गए हैं। लेकिन कानून की मदद आप तब ही ले सकती हैं, जब आपने अपने साथ हुई घटना की एफआईआर दर्ज कराई हो। यह एफआईआर आपका हथियार भी है और आपकी सुरक्षा का पहला कदम भी। 

first information report

एफआईआर क्या है 
घरेलू हिंसा हो, छेड़खानी या शारीरिक उत्पीड़न आदि होने पर महिलाएं थाने में एफआईआर करने से कतराती हैं। इसका बड़ा कारण उन्हें एफआईआर संबंधी जानकारी नहीं होती। एफआईआर करना कोई मुश्किल काम नहीं है। अपनी क्षेत्र के थाने में जाइए। जो घटना आपके साथ घटी है, उसकी जानकारी पुलिस को बताइए। आपके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पुलिस एफआईआर दर्ज करेगी। जब आप एफआईआर दर्ज करा देंगी, तो पुलिस मामले की जांच करने के लिए बाध्य होगी और दोषी पर शिकंजा कसेगी। एफआईआर का सीधा सा अर्थ है कि किसी घटना के विषय में पुलिस के पास कार्रवाई के लिए दर्ज कराई गई प्राथमिकी सूचना, जिसे एफआईआर कहा जाता है। 
 
मना नहीं कर सकती पुलिस 
अगर आपको अपने क्षेत्र के थाने के विषय में जानकारी नहीं हैं, तो किसी भी नजदीकी थाने में जाकर आप एफआईआर दर्ज करा सकती हैं। कोई भी पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकता, चाहे अपराध उसके पुलिस स्टेशन के कार्यक्षेत्र से बाहर ही क्यों न हुआ हो । आप अपने क्षेत्र से बाहर के थाने में रिपोर्ट दर्ज कराती हैं, तो उस थाने के अधिकारी एफआईआर दर्ज कर आपके क्षेत्र के पुलिस स्टेशन को शिकायत भेज देते हैं, इसे जीरो एफआईआर कहा जाता है। 

एफआईआर कैसे दर्ज होती है 
एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस अधिकारी को मौखिक अथवा लिखित सूचना दी जा सकती है । पुलिस अधिकारी आपके बयान के अनुसार उस सूचना को सरल भाषा में लिखेगा । यदि पीड़िता स्वयं अपने साथ हुए यौन अपराध की एफआईआर दर्ज कराती है तो उसे महिला पुलिस अधिकारी अथवा महिला अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाता है। यदि पीड़िता मानसिक अथवा शारीरिक रूप से अक्षम है (चाहे अस्थायी तौर पर) तो एफआईआर किसी दुभाषिया/विशेष शिक्षक की उपस्थिति में महिला के निवास स्थान अथवा उसकी पसंद के किसी स्थान पर दर्ज की जाती है। एफआईआर की एक प्रति सूचना देने वाले को नि:शुल्क दी जाएगी ।

जब पुलिस दर्ज न करे एफआईआर 
कई बार देखा जाता है कि पुलिस अपने क्षेत्र में दर्ज हुए केसों की संख्या कम दिखाने या अपराध की जांच आदि के झंझट से बचने के लिए एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करती है। अगर आपको भी ऐसी दिक्कत का सामना करना पड़े, तो हिम्मत मत हारिए। बस आपको इतना करना है कि अपनी शिकायत को डाक से जिले के पुलिस अधीक्षक को भेजना है। अगर आपकी शिकायत में ऐसे तथ्य पाए जाते हैं, जो किसी अपराध की श्रेणी में आते हैं, तो  पुलिस अधीक्षक मामले की जांच करेंगे अथवा किसी कनिष्ठ अधिकारी द्वारा जांच के आदेश देंगे ।

  • अगर पुलिस अधीक्षक कार्रवाई नहीं करते हैं तो मजिस्ट्रेट से शिकायत करें ।
  • मजिस्ट्रेट मामले की जांच कर सकते हैं अथवा पुलिस या किसी अन्य ऐसे व्यक्ति से जिसे वह उपयुक्त समझें, जांच करने के लिए कह सकते हैं ।
  • यदि आप यौन अपराध की पीड़िता हैं तो आप भारतीय दंड संहिता की धारा 166ए(सी) के अधीन संबंधित पुलिस अधिकारी के विरूद्ध अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए एफआईआर दर्ज करा सकती हैं ।

यदि आपको अपना मामला दर्ज कराने या उसकी जांच कराने में कोई समस्या आती है तो उसका पूरा ब्यौरा min-wcd@nic.in पर ईमेल करें ।