आपकी सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा बहुत सी योजना चलाई जा रही हैं और बहुत से कानून बनाए गए हैं। लेकिन कानून की मदद आप तब ही ले सकती हैं, जब आपने अपने साथ हुई घटना की एफआईआर दर्ज कराई हो। यह एफआईआर आपका हथियार भी है और आपकी सुरक्षा का पहला कदम भी।
एफआईआर क्या है
घरेलू हिंसा हो, छेड़खानी या शारीरिक उत्पीड़न आदि होने पर महिलाएं थाने में एफआईआर करने से कतराती हैं। इसका बड़ा कारण उन्हें एफआईआर संबंधी जानकारी नहीं होती। एफआईआर करना कोई मुश्किल काम नहीं है। अपनी क्षेत्र के थाने में जाइए। जो घटना आपके साथ घटी है, उसकी जानकारी पुलिस को बताइए। आपके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पुलिस एफआईआर दर्ज करेगी। जब आप एफआईआर दर्ज करा देंगी, तो पुलिस मामले की जांच करने के लिए बाध्य होगी और दोषी पर शिकंजा कसेगी। एफआईआर का सीधा सा अर्थ है कि किसी घटना के विषय में पुलिस के पास कार्रवाई के लिए दर्ज कराई गई प्राथमिकी सूचना, जिसे एफआईआर कहा जाता है।
मना नहीं कर सकती पुलिस
अगर आपको अपने क्षेत्र के थाने के विषय में जानकारी नहीं हैं, तो किसी भी नजदीकी थाने में जाकर आप एफआईआर दर्ज करा सकती हैं। कोई भी पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकता, चाहे अपराध उसके पुलिस स्टेशन के कार्यक्षेत्र से बाहर ही क्यों न हुआ हो । आप अपने क्षेत्र से बाहर के थाने में रिपोर्ट दर्ज कराती हैं, तो उस थाने के अधिकारी एफआईआर दर्ज कर आपके क्षेत्र के पुलिस स्टेशन को शिकायत भेज देते हैं, इसे जीरो एफआईआर कहा जाता है।
एफआईआर कैसे दर्ज होती है
एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस अधिकारी को मौखिक अथवा लिखित सूचना दी जा सकती है । पुलिस अधिकारी आपके बयान के अनुसार उस सूचना को सरल भाषा में लिखेगा । यदि पीड़िता स्वयं अपने साथ हुए यौन अपराध की एफआईआर दर्ज कराती है तो उसे महिला पुलिस अधिकारी अथवा महिला अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाता है। यदि पीड़िता मानसिक अथवा शारीरिक रूप से अक्षम है (चाहे अस्थायी तौर पर) तो एफआईआर किसी दुभाषिया/विशेष शिक्षक की उपस्थिति में महिला के निवास स्थान अथवा उसकी पसंद के किसी स्थान पर दर्ज की जाती है। एफआईआर की एक प्रति सूचना देने वाले को नि:शुल्क दी जाएगी ।
जब पुलिस दर्ज न करे एफआईआर
कई बार देखा जाता है कि पुलिस अपने क्षेत्र में दर्ज हुए केसों की संख्या कम दिखाने या अपराध की जांच आदि के झंझट से बचने के लिए एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करती है। अगर आपको भी ऐसी दिक्कत का सामना करना पड़े, तो हिम्मत मत हारिए। बस आपको इतना करना है कि अपनी शिकायत को डाक से जिले के पुलिस अधीक्षक को भेजना है। अगर आपकी शिकायत में ऐसे तथ्य पाए जाते हैं, जो किसी अपराध की श्रेणी में आते हैं, तो पुलिस अधीक्षक मामले की जांच करेंगे अथवा किसी कनिष्ठ अधिकारी द्वारा जांच के आदेश देंगे ।
यदि आपको अपना मामला दर्ज कराने या उसकी जांच कराने में कोई समस्या आती है तो उसका पूरा ब्यौरा min-wcd@nic.in पर ईमेल करें ।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.