अक्सर देखा जाता है कि पत्नी के जीवित होने पर भी पति दूसरा विवाह कर लेता है, जबकि पहली पत्नी के जीवित रहते ऐसा करना कानूनन अपराध है। एक पति और पत्नी के जीवित रहते इस प्रकार दोबारा किया गया विवाह अमान्य होता है ।भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत ऐसा करने पर 7 वर्ष तक के कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।
-यह धारा ऐसे किसी व्यक्ति पर लागू नहीं है, जिसके पहले विवाह को न्यायालय द्वारा अमान्य घोषित किया जा चुका हो, अथवा ऐसे व्यक्ति पर जिसका पति या पत्नी कम से कम पिछले 7 वर्षों तक अनुपस्थित रहा/रही हो और जिसके जीवित होने के बारे में न सुना गया हो, परंतु दूसरा विवाह कराने वाले व्यक्ति को विवाह संपन्न होने से पूर्व विवाह सूत्र में बंधने वाले अपने पति या पत्नी को इसकी जानकारी देनी होगी ।
केस
ये केस कड़कड़डूमा अदालत का है। कोर्ट ने पहली पत्नी को तलाक दिए बगैर दूसरी शादी करने वाले शख्स को छह महीने कैद की सजा सुनाई। अदालत ने उन्हें पहली पत्नी को बतौर मुआवजा एक लाख रुपये देने के भी निर्देश दिए।
दरअसल मूल रूप से बागपत निवासी नूतन शर्मा की शादी 8 फरवरी 1987 को ब्रह्मादत्त शर्मा के साथ हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही नूतन को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। महिला ने मानसरोवर पार्क थाने में दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया। इसके बाद ससुराल वालों ने नूतन को घर से निकाल दिया। वह मायके चली गईं। मामले की सुनवाई कड़कड़डूमा कोर्ट में चल रही थी। इस बीच, ब्रह्मादत्त ने 22 अप्रैल 1996 को दूसरी शादी कर ली। ऐसे में उसके खिलाफ चल रहे दहेज प्रताड़ना मामले में बाइगेमी की धारा-494 (पहली पत्नी को तलाक दिए बगैर दूसरी शादी करना) भी जुड़ गई। ट्रायल कोर्ट ने ब्रह्मादत्त को धारा-494 के तहत दोषी करार देते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई।
ब्रह्मादत्त ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को अडिशनल सेशन जज आर. के. यादव की अदालत में चुनौती दी। बचाव पक्ष ने कहा कि उनके मुवक्किल की उम्र 44 साल है। उन पर परिवार की जिम्मेदारी है। इस आधार पर उन्होंने अदालत से नरमी बरतने की अपील की। अदालत ने ब्रह्मादत्त को बाइगेमी की धारा के तहत दोषी करार देते हुए छह महीने कैद की सुजा सुनाई। साथ ही, उसे पहली पत्नी को मुआवजे के तौर पर एक लाख रुपये का भुगतान करने के निर्देश भी दिए।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.