अदालत ने कहा- विवाह के बाद लड़की की मृत्यु के बाद यह प्रवृत्ति गलत कि अब किसी को दोषी ठहराना ही है। दहेज प्रताड़ना व आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से तीन बरी।
न्यायालय की प्रवृत्ति यह नहीं होनी चाहिए कि शादी के बाद किसी लड़की की मृत्यु हो गई थी, तो अब किसी को तो दोषी ठहराना है और किसी की गर्दन में फंदा जरूर फिट किया जाना चाहिए। अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए दहेज प्रताड़ना व आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से सास, पति व देवर को आरोपमुक्त कर दिया। अदालत ने माना कि विवाह के बाद शुरूआती दिनों में परिवार में होने वाले छोटे-मोट झगड़े या कहासुनी ऐसे नहीं होते हैं कि उन्होंने महिला को इस हद तक प्रताड़ित कर दिया था कि वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गई थी।
मृतका ने विवाह से एक माह बाद ही आत्महत्या कर ली थी
दिल्ली के थाना देशबंधु गुप्ता मार्ग के इस मामले में तीनों आरोपियों पर नवविवाहिता को देहज के लिए प्रताड़ित व आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था। मृतका ने विवाह से एक माह बाद ही आत्महत्या कर ली थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चारू अग्रवाल ने 8 मार्च के दिए अपने फैसले में कहा कि यदि एक लड़की अपनी शादी के कुछ दिनों या महीने के भीतर अप्राकृतिक परिस्थितियों में आत्महत्या कर लेती है, तो कानून लड़के के परिवार के खिलाफ अनुमान लगाता है। अदालत ने कहा- क्या यह लड़की की अति संवेदनशीलता को नहीं दिखाता है, जिसने इस पवित्र रिश्ते को समय ही नहीं दिया। मामला वर्ष 2014 का है। नवविवाहित राजवती ने 11 जनवरी 2014 को शादी के एक महीने के भीतर ससुराल में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी। राजवती की मां के बयान पर पति विजय देवर मनोज कुमार व सास लाजवंती के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
कहावत का दिया उद्धाहरण- रोम एक दिन में नहीं बना था...
अदालत ने अपने फैसले में रोम की एक कहावत का उद्हारण देते हुए कहा- रोम एक दिन में नहीं बना था। अदालत ने कहा कि यह कहावत सही मायने में दो व्यक्तियों के बीच विवाह पर भी लागू होती है। कोर्ट ने कहा कि, एक सफल विवाह को एक-दूसरे का प्यार, सम्मान, आपसी समझ और विश्वास की आवश्यकता होती है। ये सभी कारक दो व्यक्तियों को एक या दो दिन में नहीं, बल्कि एक ही छत के नीचे बिताए गए समय के साथ एक कपल बनाते हैं। शादी के शुरुआती दिनों में, सभी नहीं, लेकिन अधिकांश विवाह चाहे वह लव मैरिज हो या फिर अरेंज मैरिज, विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शादी के बाद बहुत सी चीजें बदल जाती हैं, भले ही वह प्रेम विवाह क्यों न हो। इन चुनौतियों का समाधान लड़का और लड़की दोनों के हाथों में समान रूप से होता है और उक्त समाधान केवल दंपती का धैर्य और शांति है।
सुसाइड नोट दर्शाता है कि मृतका और उसके पति के बीच कुछ गलतफहमी थी...
अदालत ने कहा कि पेश गवाहों ने दहेज की मांग व प्रताड़ना के कारण उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि मृतका को किस तरह से परेशान किया गया। सुसाइड नोट का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि यह नोट केवल इस बात को दर्शाता है कि मृतका और उसके पति के बीच कुछ गलतफहमी थी और कुछ भी नहीं। इसमें स्पष्ट नहीं है कि उसे प्रताड़ित किया गया या आत्महत्या के लिए उकसाया गया। अदालत ने कहा- हर आत्महत्या को दहेज की मांग के कारण की जाने वाली आत्महत्या नहीं माना जा सकता है। पेश साक्ष्य, दस्तावेज व बयानों के आधार पर अभियोजन पक्ष आरोपियों का अपराध साबित करने में असफल रहा है, ऐसे में तीनों आरोपियों को बरी किया जाता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.